इंडिया

अस्‍पताल की लापरवाही, 7 दिन में दो बार जिंदा मरीज को बता दिया मृत

मध्यप्रदेश के ग्‍वालियर के जयरोग्य अस्पताल में लापरवाही का मामला सामने आया है। महोबा द्वारा जामवती को मृत घोषित करने की घटना के बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने कोई सबक नहीं लिया। चार दिन पहले ट्रॉमा डॉक्टरों ने जामवती को मृत घोषित कर शवगृह भेज दिया था। जहां उसके पति ने पत्नी को सांस लेते हुए देखा तो वह महिला को फिर से ट्रामा ले आया जहां उसका इलाज शुरू किया गया। हालांकि दूसरे दिन महिला की मौत हो गई।

ऐसा ही एक वाकया मंगलवार शाम न्यूरोसर्जरी विभाग में हुआ। जहां भर्ती मरीज को वेंटिलेटर से हटाकर मृत घोषित कर दिया गया। जबकि मरीज की सांस चल रही थी। परिजनों ने हंगामा किया और भाजपा नेता की मदद ली तो मरीज का इलाज दोबारा शुरू हो सका। इधर घटना की सूचना मिलते ही न्यूरोसर्जन डॉ. आनंद शर्मा मौके पर पहुंचे, जिन्होंने पूरे मामले को शांत कराने का प्रयास किया। हालांकि इस मामले में डॉक्टर आनंद शर्मा ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

वहीं दूसरा वाकया मुरैना निवासी 41 वर्षीय शिवकुमार उपाध्याय के साथ हुआ। शिवकुमार को दो दिन पहले लकवे की शिकायत के चलते मुरैना से लाकर जेएएच के न्यूरोसर्जरी विभाग में भर्ती कराया गया। दो दिन से उनका इलाज न्यूरोसर्जरी विभाग के आईसीयू में चल रहा था। शिवकुमार को आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखकर ऑक्सीजन दी जा रही थी। मंगलवार की शाम करीब साढ़े छह बजे वह आईसीयू से वार्ड बॉय वहां पहुंचा और शिवकुमार को नली से दी जा रही ऑक्सीजन को बंद कर दिया और मुंह से नली भी निकाल ली।

इसके बाद उन्होंने वेंटिलेटर बंद कर दिया। इसके बाद वार्ड बॉय ने परिजनों से कहा कि वे मरीज का शव ले जाएं। परिजनों ने शिवकुमार की मौत की खबर सुनी तो वह बदहवास हालत में आईसीयू में पहुंचे। वहां देख शिवकुमार की सांस चल रही थी जबकि वेंटिलेटर बंद था और उनके मुंह से नली निकली हुई थी। तब परिजनों ने तुरंत डॉक्टर व तैनात नर्स की तलाश की। वहां उन्हें एक नर्स मिली, लेकिन उन्होंने अपने रिश्तेदारों की बात अनसुनी कर दी। इस पर परिजनों ने हंगामा किया तो वहां ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर आनन-फानन में पहुंचे और मरीज को दोबारा वेंटिलेटर पर रखकर ऑक्सीजन देने लगे।

पूछताछ करने पर वार्ड बॉय ने कहा कि किसी डॉक्टर ने मरीज को मृत बताया था जिसके आधार पर वार्ड बॉय वेंटिलेटर हटाने आया। वेंटिलेटर हटाने से पहले वार्ड बॉय ने यह देखना भी मुनासिब नहीं समझा कि मरीज की सांस चल रही है। जब वार्ड ऑक्सीजन नली निकाल रहा था तब आईसीयू का स्टाफ कहां था। डॉक्‍टर ड्यूटी पर मौजूद क्यों नहीं थे ? ऐसे कई सवाल अब उठना लाजमी है।

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