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राजनीतिक के अखाड़े में उतरने से पहले शिक्षक थे मुलायम सिंह, जानिए कैसा रहा सियासी सफर

समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का आज सोमवार 10 अक्तूबर, 2022 को निधन हो गया. उन्होंने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस लीं. देश की राजनीति के प्रमुख चेहरों में से एक मुलायम सिंह यादव के स्वास्थ्य के लिए लोग दुआएं मांग रहे थे. अपने जीवन में उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री का कार्यभार संभाला था. आइए एक नजर डालते हैं उनके राजनितिक जीवन पर…
राजनीति में सुनहरा रहा करियर..
मुलायम सिंह यादव ने 1960 के करीब राजनीति में प्रवेश किया था. उन्होंने लोहिया आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था. 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी का गठन किया था. उन्होंने जनसंख्या के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद तीन बार (1989 से 1991, 1993 से 1995 और 2003 से 2007) संभाला था. साल 1996 से 1998 तक मुलायम सिंह यादव ने देश के रक्षा मंत्री का भी पद संभाला था.
राजनीति शास्त्र में मास्टर थे मुलायम सिंह यादव…
22 नवंबर, 1939 को यूपी के इटावा जिले के सैफई में मुलायम सिंह यादव का जन्म हुआ था. इटावा, फतेहाबाद और आगरा से उनकी शिक्षा पूरी हुई. मैनपुरी को करहल स्थित जैन इंटर कॉलेज से उन्होंने पढ़ाई की. मुलायम सिंह ने बैचलर ऑफ टीचिंग और बीए में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया था. पॉलिटिकल साइंस (राजनीतिक शास्त्र) में उन्होंने एमए की डिग्री आगरा विश्वविद्यालय से ली थी.
राजनीति में आने से पहले शिक्षक थे मुलायम सिंह..
साल 1955 की बात है जब मुलायम सिंह यादव ने जैन इंटर कॉलेज में 9वीं में एडमिशन लिया.1959 में उन्होंने यहीं से 12वीं की. साल 1963 की बात है, जब उन्होंने बतौर सहायक अध्यापक काम शुरू कर दिया था. तब उनकी एक महीने की सैलरी मात्र 120 रुपए थी. वे हाईस्कूल में हिंदी और इंटर में सामाजिक विज्ञान पढ़ाया करते थे. राजनीति में एंट्री से पहले वे बतौर शिक्षक काम किया करते थे.
वहीं, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव शिकोहाबाद क्षेत्र के गांव इटोली में रहकर अपनी पढ़ाई की थी. नेताजी ने इसी गांव में रहकर कुश्ती के दांव-पेंच सीखे. मुलायम सिंह यादव का पूरा परिवार इटावा के सैफई से पहले फिरोजबाद जिले के शिकोहाबाद क्षेत्र के गांव इटोली में रहता था, लेकिन नेताजी के बाबा मेवाराम सैफई जाकर रहने लगे.
फिर वहीं, मुलायम सिंह का जन्म हुआ. लेकिन उनका वहां मन बहुत कम लगता था. इसलिए वह अपने पैतृक गांव ईटोली में आ जाते थे और काफी दिनों तक इसी गांव में रहते थे.बीच-बीच में वह सैफई चले जाते थे.
उन्होंने इटोली गांव में रहकर आदर्श कृष्ण कॉलेज में पढ़ाई की. वे अपने मित्रों के साथ इटोली गांव से पैदल-पैदल उस समय शिकोहाबाद स्थित आदर्श कृष्ण कॉलेज में पढ़ाई करने आते थे.
अगर मुलायम सिंह यादव के खाने की पसंद की बात करें तो उन्हें खाने में सबसे ज्यादा मक्के की रोटी और चना का साग पसंद था. इटोली में रहने वाली नेताजी की भाभी ने बताया था कि मुलायम सिंह यादव को चना का साग और मक्के की रोटी बेहद पसंद था.
पढ़ाई के साथ-साथ मुलायम सिंह यादव गांव में रहकर गांव के युवकों के साथ पशु चराने भी जाते थे. इस गांव में मुलायम सिंह आखिरी बार 2014 में आए थे, जब उनके चचेरे भाई गिरवर सिंह की तबीयत खराब थी.
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