पंजाब में अमृतसर ईस्ट अब विधानसभा चुनाव की सबसे हॉट सीट बन गई है। यहां प्रदेश कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिद्धू के खिलाफ दिग्गज अकाली नेता बिक्रम मजीठिया चुनाव मैदान में होंगे। पंजाब की राजनीति में यह लड़ाई कई मायनों में दिलचस्प है। यह पहली सीट है, जहां इस बार के विधानसभा चुनाव में दिग्गज आमने-सामने होंगे। पिछले विधानसभा चुनाव में लंबी सीट से कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रकाश सिंह बादल, जलालाबाद से सुखबीर बादल के खिलाफ भगवंत मान चुनाव मैदान में कूदे थे। इस बार यह सब सेफ सीट से लड़ रहे हैं।
पंजाब की इस सबसे बड़ी चुनावी जंग का एक दिलचस्प पहलू यह भी रहेगा कि सिद्धू या मजीठिया में से जो चुनाव हारेगा, उसकी यह पहली राजनीतिक हार होगी। मजीठिया लगातार अमृतसर की मजीठा सीट से लगातार 3 बार विधानसभा चुनाव जीतते आ रहे हैं। वहीं सिद्धू आज तक कोई चुनाव नहीं हारे। इतना जरूर है कि जो भी चुनाव जीता, पार्टी और पंजाब की राजनीति में उस नेता का सियासी कद जरूर बढ़ जाएगा।
बिक्रम मजीठिया का मुकाबले में उतरना नवजोत सिद्धू के लिए बड़ा खतरा है। सिद्धू सिर्फ इसी अमृतसर ईस्ट से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं मजीठिया अपनी पुरानी सीट मजीठा से भी चुनाव लड़ेंगे। सिद्धू हारे तो उनके सियासी जीवन के लिए बड़ा संकट होगा। मजीठिया के पास मजीठा का विकल्प है। दूसरा सिद्धू लगातार CM चेहरे के लिए दावेदारी ठोक रहे हैं। अगर उन्हें किसी तरह से हार मिली तो उनका यह दावा भी खत्म हो जाएगा।
नवजोत सिद्धू ने 2017 में पहली बार अमृतसर ईस्ट से चुनाव लड़ा था। उन्हें 60 हजार 477 वोट मिली थी। उन्होंने अकाली-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार राजेश कुमार हनी को 42 हजार 809 वोटों से हराया। हनी को सिर्फ 17,668 वोट मिली थी। तीसरे नंबर पर आम आदमी पार्टी के सर्बजोत धंजल रहे थे। जिन्हें 14 हजार 715 वोट मिली थी।
पंजाब की सबसे हॉट सीट बनी अमृतसर ईस्ट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है। 2002 और 2007 में यहां से कांग्रेस जीती। इसके बाद 2012 में नवजोत सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू ने अकाली-भाजपा कैंडिडेट के तौर पर यहां से चुनाव जीता। उन्हें 33 हजार 406 वोट मिले थे। उन्होंने निर्दलीय सिमरप्रीत कौर को 7 हजार 99 वोटों से हराया था। इसके बाद सिद्धू दंपति भाजपा छोड़ कांग्रेस में आ गए। 2017 का चुनाव नवजोत सिद्धू ने लड़ा और विजयी रहे।
सिद्धू और मजीठिया की लड़ाई इसलिए बड़ी है क्योंकि मजीठिया पर ड्रग्स केस दर्ज करवाने में सबसे बड़ी वजह नवजोत सिद्धू हैं। मजीठिया पर केस दर्ज करवाने के लिए सिद्धू ने अपनी ही CM चरणजीत चन्नी सरकार की धज्जियां उड़ाकर रख दी। यहां तक कि पंजाब कांग्रेस के प्रधान पद से इस्तीफा तक दे दिया इसके बाद सिद्धू ने पहले एडवोकेट जनरल एपीएस देयोल को बदलवाया। उनकी जगह अपने करीबी एडवोकेट डीएस पटवालिया को AG बनवाया।
इसके बाद डीजीपी इकबालप्रीत सहोता को हटवाया। सिद्धू के करीबी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को डीजीपी बनाया गया। इसके बाद मजीठिया पर ड्रग्स का केस दर्ज हुआ। अब मजीठिया को जमानत नहीं मिल रही और प्रचार छोड़ वह गिरफ्तारी से बचने की कोशिश कर रहे हैं।