<p>पंजाब विश्वविद्यालय की सीनेट ने सेक्सुअल हरासमेंट मामले में दोषी पाए गए डॉक्टर को बर्खास्त कर दिया है। अब वह दूसरी जगह नौकरी भी नहीं कर पाएगा। हालांकि इस दौरान दोषी पर पांच माह बाद कार्रवाई होने की निंदा भी की गई। प्रस्ताव पास हुआ कि आगे से ऐसा कोई मामला आता है तो पीड़िता को अधिकतम 30 दिनों में न्याय दे दिया जाएगा। साथ ही 20 दिन में दोषी पर कार्रवाई कर दी जाएगी।</p>
<p>बता दें कि पीयू का यह दूसरा मामला है, जिसमें शिक्षण कार्य से जुड़े व्यक्ति को बर्खास्त किया गया है। दरअसल ये मामला पांच माह पहले का है जिसमें पीयू के डेंटल इंस्टीट्यूट के एक डॉक्टर ने एक छात्रा के साथ छेड़खानी की थी। पीड़िता ने छेड़खानी के साथ आरोपी डॉक्टर पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे।</p>
<p>इस मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी। सूत्रों का कहना है कि पहले कुछ लोगों ने डॉक्टर को बचाने की कोशिश की, जिससे मामला खिंचता चला आया। इस बीच पीड़ित छात्रा न्याय के लिए इधर-उधर भटकती रही। पिछली सीनेट बैठक में भी जुलाई में यह प्रस्ताव रखा गया था लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। शनिवार को सीनेट की बैठक हुई।</p>
<p>शून्य सत्र में यह मामला एक सीनेटर ने रखा तो जांच रिपोर्ट और अब तक की कार्रवाई देखी गई। सभी सीनेटर ने इस पर एक्शन लेने का दबाव बनाया। आखिर में दोषी पाए गए डॉक्टर देविंदर प्रीत सिंह को बर्खास्त करने का निर्णय लिया गया। सीनेट ने यह सबसे कड़ी कार्रवाई डॉक्टर पर यह की है कि उसे दूसरी जगह नौकरी भी नहीं मिल सकेगी। कार्रवाई की दूसरी श्रेणी में केवल टर्मिनेट किया जाता है लेकिन उसमें दोषी को नौकरी मिल जाती है।</p>
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