सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड की वैधता को लेकर पर आज अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट में आधार मामले की सुनवाई के दौरान यह सवाल उठा था कि राइट टु प्रीवेसी मौलिक अधिकार है या नहीं? जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है। आधार को चुनौती देने वाले वकील गोपाल सुब्रमण्यम का कहना था कि आधार स्कीम के जरिए नागरिकों को सरकार की दया के सहारे छोड़ दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि आधार आम नागरिक की पहचान बन चुका है। जस्टिस सीकरी ने कहा कि आधार को होना आपको अलग बनाता है। कोर्ट ने कहा कि बायोमैट्रिक सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं।
इसके पहले, सुब्रमण्यम ने कहा था कि अगर यूएआईएडीआई के फैसले से कोई प्रभावित होता है तो ऐसी स्थिति में नागरिक कहां जाएगा। वहीं केंद्र की ओर से भी इस मामले में दलील दी गई थी कि आधार नागरिक फ्रैंडली है। केंद्र की तरफ से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि अभी देश में 96 फीसदी लोगों के पास आधार है। आधार नागरिक फ्रैंडली योजना है और ये सुरक्षित योजना है। अगर किसी के पास आधार नहीं है तो भी किसी बेनिफिट से वंचित नहीं किया जाएगा।