<p>डॉक्टरों को लेकर यूपी की योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब डॉक्टरों को पीजी के बाद कम से कम 10 साल तक सरकारी अस्पताल में सेवाएं देनी होगी। इस दौरान यदि कोई डॉक्टर बीच में नौकरी छोड़ता है तो उस पर 1 करोड़ रूपये का जुर्माना लगाया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि अगर कोई डॉक्टर पीजी कोर्स बीच में ही छोड़ देता है तो उसे तीन साल के लिए डिबार कर दिया जाएगा। इन तीन सालों में वह दोबारा दाखिला नहीं ले सकेंगे।</p>
<p>फैसले में यह भी कहा गया है कि पढ़ाई पूरी करने के बाद चिकित्साधिकारी को तुरंत नौकरी जॉइन करनी होगी। इसके अलावा पीजी के बाद सरकारी डॉक्टरों को सीनियर रेजिडेंसी में रुकने पर भी रोक लगा दी गई है। नए नियम में कहा गया है कि विभाग की ओर से इस संबंध में अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं जारी किया जाएगा। डॉक्टर पीजी के साथ ही डिप्लोमा कोर्सेज में भी दाखिला ले सकते हैं। </p>
<p>गौरतलब है कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने नीट (NEET) में छूट की भी व्यवस्था की है। ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी अस्पताल में एक साल नौकरी करने के बाद एमबीबीएस डॉक्टरों को नीट प्रवेश परीक्षा में 10 अंकों की छूट दी जाती है। वहीं, दो साल सेवा देने वाले डॉक्टरों को 20 और तीन साल पर 30 अंको की छूट मिलती है। </p>
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