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पानी की कमी से धंस रही दिल्ली की धरती! स्टडी में बड़ा खुलासा

दिल्ली में जमीन के अंदर पानी की बढ़ती भारी किल्लत से एक अलग तरह का संकट पैदा हो सकता है। एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में ऐसा खुलासा हुआ है जिसे जानकर आप दांतों तले उंगलियां दबाने पर मजबूर हो जाएंगे। इस स्टडी में कहा गया है कि पानी की कमी के कारण दल्ली में जमीन धंस रही है जिससे इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा को गंभीर खतरा हो सकता है।

अनुसंधानकर्ताओं ने सैटलाइट डेटा के उपयोग से पता किया है कि राष्ट्रीय राजधानी का करीब 100 वर्ग किलोमीटर के इलाके में जमीन धंसने का काफी बड़ा खतरा है। इनमें 12.5 वर्ग किलोमीटर का इलाका कापसहेड़ा में है जो आईजीआई एयरपोर्ट से महज 800 मीटर के फासले पर है। आईआईटी बॉम्बे, जर्मन रिसर्च सेंटर ऑफ जियोसाइंसेस और अमेरिका की कैंब्रिज और साउदर्न मेथडिस्ट यूनिवर्सिटी के संयुक्त अध्ययन में कहा गया है कि एयरपोर्ट पर जिस तेजी से जमीन धंसने का दायरा बढ़ रहा है, उससे लगता है कि जल्द ही एयरपोर्ट भी इसके जद में आ जाएगा।

भूजल के सतत उपयोग के निहितार्थ शीर्षक से स्टडी रिपोर्ट का प्रकाशन प्रतिष्ठित जर्नल नेचर में हुआ है। इस अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2014 से 2016 के बीच प्रति वर्ष 11 सेंटीमीटर की दर से जमीन धंस रही थी जो अगले दो वर्षों में करीब-करीब 50% बढ़कर 17 सेंटीमीटर प्रति वर्ष हो गई। रिपोर्ट की मानें तो खतरे वाले इलाकों में एयरपोर्ट के पास कापसहेड़ा का इलाका की स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि यहां जमीन धंसने की दर बहुत ज्यादा है।

इंटरनैशनल स्टडी में शामिल यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज की रिसर्चर शगुन गर्ग ने क्वालालंपुर एयरपोर्ट का उदाहरण देते हुए कहा कि आईजीआई एयरपोर्ट की लगातार सतर्क निगहबानी करते रहना जरूरी है। उन्होंने बताया कि क्वालालंपुर एयरपोर्ट पर टैक्सियों के गुजरने वाले रास्ते पर दरारें आ गई थीं और सॉइट सेटलमेंट के कारण पानी जम गया था। एयपोर्ट से 500 मीटर की दूरी पर महिपालपुर इलाके में भी जमीन के नीचे खिसकने की दर में लगातार इजाफा हो रहा है। वहां 2018-19 में 500 मिलीमीटर प्रति वर्ष की दर से जमीन खिसकती पाई गई।

दिल्ली में प्रति दिन औसतन 12,360 लाख गैलन पानी की जरूरत है और मांग के मुकाबले आपूर्ति में प्रति दिन 30 करोड़ गैलन की कमी है। ड्राफ्ट मास्टर प्लान 2041 के मुताबिक, 2031 तक दिल्ली को प्रतिदिन 1,746 मिलियन गैलन पानी की जरूरत होगी। राजधानी में पानी की जरूरत का बड़ा हिस्सा जमीन के अंदर से निकाला जाता है। इस कारण पानी का स्तर तेजी से नीचे भाग रहा है।

अनुसंधानकर्ताओं को संदेह है कि दिल्ली-गुरुग्राम के बीच 7.5 किलोमीटर की सड़क की खस्ताहाली का जिम्मेदार भी जमीन धंसने की समस्या ही है। यह सड़क पिछले पांच वर्षों में 70 सेंटीमीटर से ज्यादा धंस चुकी है। दिल्ली-एनसीआर में जिन इलाकों पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है, उनमें बिजवासन, समलखा, कापसहेड़ा, साध नगर, बिंदापुर और महावीर एन्क्लेव, गुरुग्राम के सेक्टर 22ए और ब्लॉक सी के अलावा फरीदाबाद में संजय गांधी मेमोरियल नगर के पॉकेट ए, पॉकेट बी और पॉकेट सी शामिल हैं।

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