16 सितंबर को पूरी दुनिया में ओजोन दिवस के तौर पर मनाया जाता है। ताकि लोगों को ओजोन लेयर की महत्व को बताया जा सके क्योंकि जीवन के लिए जितना जरूरी आक्सीजन है उतना ही जरूरी ओजोन लेयर है।
क्या है ओजोन लेयर ?
ओजोन परत पृथ्वी के वायुमंडल की एक परत या सुरक्षा कवच है और ये परत हमें सूरज से आने वाले खतरनाक किरणों से बचाती है। लेकिन प्रदूषण ने ओजोन में छेद कर दिए हैं जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ा है। वहीं कई वैज्ञानिकों का कहना है कि रेफ्रिजरेटर और एसी ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचा रहे है और समय पर इसका समाधान नहीं निकाला गया तो आने वाले समय में इसकी परिणाम और भयानक हो सकते हैं।
आखिर कब से मनाया जाता है ओजोन डे
पहली बार ओजोन डे साल 1995 में मनाया था साल 1970 में वैज्ञानिकों को ओजोन परत के छेदों के बारे में पता चला, जिसके बाद विश्व के कई देशों की सरकार के लिए यह चिंता का विषय बन गया। 16 सितंबर, 1987 को संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में ओजोन लेयर को हुए नुकसान के लिए कनाडा के मांट्रियल शहर में दुनिया के 33 देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसे ‘मांट्रियल प्रोटोकॉल’ कहा जाता है और इस प्रोटोकॉल का लक्ष्य है कि साल 2050 तक ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले केमिकल को कंट्रोल किया जाए।
इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश राज्य विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद शिमला ने बड़ोग गांव में पौधा रोपण कर ओजोन दिवस मनाया और प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया। इस मौके पर हिमकास्ट की तरफ से आनलाइन प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया जिसमें 10वीं और 12वीं के करीब 3 हजार बच्चों ने हिस्सा लिया।
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