इस तरह मनाएं हरितालिका तीज का व्रत

<p>हरितालिका तीज सावन मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को मनया जाता है। इस बार हरियाली तीज 3 अगस्&zwj;त को मनाई जाएगी। यह महिलाओं का उत्सव है। इस दिन महिलाएं शिव-पार्वती का विशेष पूजन करती हैं जिसे हरियाली तीज कहा जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत को करवा चौथ से भी कठिन व्रत बताया जाता है। इस दिन महिलाएं पूरा दिन बिना भोजन-जल के दिन व्यतीत करती हैं और दूसरे दिन सुबह स्नान और पूजा के बाद व्रत पूरा करके भोजन ग्रहण करती हैं। इसी वजह से इस व्रत को करवा चौथ से भी कठिन माना जाता है।<br />
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आस्था, सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव हरितालिका तीज भगवान शिवजी और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। चारों तरफ हरियाली होने के कारण इसे हरियाली तीज कहते हैं। इस मौके पर महिलाएं झूला झूलती हैं, गाती हैं और खुशियां मनाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा से सारे संकटों के बादल छट जाते हैं और सुहागन महिलाओं को पति की लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।<br />
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<span style=”color:#2980b9″><strong>हरियाली तीज की विधि और पूजा </strong></span><br />
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सुबह उठ कर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद मन में पूजा करने का संकल्प लें। पूजा शुरू करने से पूर्व काली मिट्टी से भगवान शिवजी, मां पार्वती और भगवान गणेशजी की मूर्ति बनाएं। अब इन मूर्तियों को तिलक लगाएं और फल-फूल अर्पित करें। फिर थाली में सुहाग की सामग्रियों को सजाकर माता पार्वती को अर्पण करें। ऐसा करने के बाद भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाएं और तीज की कथा पढ़ने या सुनने के बाद आरती करें। अगले दिन सुबह माता पार्वती को सिंदूर अर्पित कर भोग चढ़ाएं। प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रत का भोग लगाएं और अपने व्रत का मोख करें।<br />
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<span style=”color:#c0392b”><strong>&#39;उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये&#39; मंत्र का जाप करें।</strong></span><br />
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<span style=”color:#2980b9″><strong>मनचाहे वर के लिए करें हरियाली तीज का व्रत</strong></span><br />
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सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहीं कज्जली तीज तो कहीं हरियाली तीज के नाम से जाना जाता है। भव&zwnj;िष्य पुराण में देवी पार्वती बताती हैं क&zwnj;ि तृतीया त&zwnj;ि&zwnj;&zwnj;थ&zwnj;ि का व्रत उन्होंने बनाया है ज&zwnj;िससे स्त्र&zwnj;ियों को सुहाग और सौभाग्य की प्राप्त&zwnj;ि होती है। सावन महीने में तृतीया त&zwnj;िथ&zwnj;ि को सौ वर्ष की तपस्या के बाद देवी पार्वती ने भगवान श&zwnj;िव को पत&zwnj;ि रूप में पाने का वरदान प्राप्त क&zwnj;िया था।<br />
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भगवान शिवजी ने जब हरितालिका तीज की कथा माता पार्वती को सुनाई थी तो उन्होंने कहा कि&nbsp; इस व्रत को जो भी स्त्री पूर्ण श्रद्धा से करेंगी उसे तुम्हारी तरह अचल सुहाग प्राप्त होगा।<br />
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