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भारत के हर राज्य की चाय का है अलग फ्लेवर, क्या कभी ली हैं इनकी चुस्कियां

डेस्क |

भारत के लगभग हर घर में चाय के शौकीन आसानी से मिल जाएंगे. इस बात पर बहुत लोग हामी भरेंगे कि भारत में चाय का एक खास स्थान है. कई घर ऐसे मिल जाएंगे जहां सुबह उठकर सबसे पहले चाय पी जाती है.

वहीं, कुछ घरों में सुबह-शाम चाय का वक्त तय होता है. अगर आप चाय के शौकीन हैं तो बेशक आपने कड़क मासला चाय से लेकर अदरक वाली चाय तक का स्वाद चखा होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं भारत देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग अंदाज से चाय तैयार की जाती है.

असम के चाय बागानों के बारे में तो हम सबने सुना ही है. इन्हीं चाय बागानों की एक खास किस्म की चाय होती है रोंगा साह. असम में रहने वाले लोगों को इस चाय को इस चाय का स्वाद बेहद पसंद आता है. दिखने में ये चाय हल्के लाल और भूरे रंग की होती है. इसको चाय की ताजा पत्तियों से बनाया जाता है. माना जाता है कि ये चाय आपके शरीर की पाचन प्रक्रिया के लिए बहुत अच्छी होती है.

लेबू चा बंगाली स्टाइल मसाला चाय को कहते हैं. इस चाय को दूध के बिना बनाया जाता है. इसमें पानी के साथ चायपत्ति समेत कई और मसाले डाले जाते हैं. इसके साथ ही इसमें नींबू निचोड़ा जाता है. नींबू का खट्टा स्वाद लोगों को बहुत पसंद होता है.

ईरानी चाय को 19वीं शताब्दी के दौरान फारसियों द्वारा भारत लाया गया था और अब यह शहर के विभिन्न पुराने कैफे में पाई जाती है. इस चाय में मावा या खोया मिलाया जाता है जिससे इसका स्वाद बेहतरीन हो जाता है. इस चाय को और भी स्वादिष्ट बनाने के लिए आप इसमें दालचीनी और हरी इलायची जैसे मसाले भी मिला सकते हैं.

ये चाय केरल के मालाबार क्षेत्र से आती है. ये चाय दक्षिण भारत के कई राज्यों में लोगों की पसंदीदा ड्रिंक्स में से एक है. इस चाय में भी दूध नहीं मिलाया जाता. इसे लौंग, इलायची, दालचीनी, पुदीने की पत्तियों के साथ बनाया जाता है. साथ ही इसमें नींबू का रस और शहद भी डाला जाता है.

हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा चाय: कांगड़ा को उत्तर भारत की चाय की राजधानी के नाम से जाना जाता है. कांगड़ा रीजन में 19वीं सदी से ब्लैक और ग्रीन टी उगाई जा रही हैं. इस हिमाचली चाय में हरी और वनस्पति सुगंध होती है और इसका स्वाद हल्का तीखा लगता है.

दार्जिलिंग चाय दुनिया में सबसे ज्यादा ऊंचाई पर उगने वाली चाय है. यह पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में उगाया जाता है. इसे आमतौर पर ‘चाय की शैम्पेन’ कहा जाता है क्योंकि इसमें हल्की मस्की महक आती है और इसका स्वाद मीठा होता है. इसे दुनिया की बेहतरीन काली चायों में से एक माना जाता है.

कश्मीरी और उनके चाय के प्रति प्यार के बारे में लगभग हर किसी को पता होगा. लेकिन कश्मीर की चाय उत्तर भारत के कई राज्यों में बनने वाली चाय से अलग होती है. कश्मीर की चाय को नून चाय कहा जाता है. इसे गनपाउडर के रूप में चायपत्ती, नमक, बेकिंग सोडा डालकर पकाया जाता है. साथ ही, इस चाय में गुलाब की सूखी पत्तियां और ड्राई फ्रट्स डाले जाते हैं. इसे कश्मीरी घरों में सुबह और शाम के वक्त पिया जाता है.