पति की लंबी उम्र और मनचाहा वर प्राप्ति के लिए किया जाता है हरतालिका व्रत

<p>हरताल&zwj;िका तीज 2019 की महिमा को अपरंपार माना गया है। हिन्&zwj;दू धर्म में विशेषकर सुहागिन महिलाओं के लिए इस पर्व का महात्&zwj;म्&zwj;य बहुत ज्&zwj;यादा है। हरतालिका तीज के दिन भी गौरी-शंकर की पूजा की जाती है। हरतालिका तीज का व्रत बेहद कठिन है। इस दिन महिलाएं 24 घंटे से भी अधिक समय तक निर्जला व्रत करती हैं। यही नहीं रात के समय महिलाएं जागरण करती हैं और अगले दिन सुबह विधिवत्त पूजा-पाठ करने के बाद ही व्रत खोलती हैं।&nbsp; मान्&zwj;यता है कि हरतालिका तीज का व्रत करने से सुहागिन महिला के पति की उम्र लंबी होती है जबकि कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है। यह त्&zwj;योहार मुख्&zwj;य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्&zwj;थान और मध्&zwj;य प्रदेश में मनाया जाता है। कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में इस व्रत को &quot;गौरी हब्&zwj;बा&quot; के नाम से जाना जाता है। हिमांचल प्रदेश में भी इसका विशेष महत्व है</p>

<p><span style=”color:#8e44ad”><strong>हरतालिका तीज कब है?</strong></span></p>

<p>हिन्&zwj;दू कैलेंडर के अनुसार हरतालिका तीज भाद्रपद यानी कि भादो माह की शुक्&zwj;ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है। यह तीज भादो माह की गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले आती है। ग्रेगारियन कैलेंडर के अनुसार हरतालिका तीज हर साल अगस्&zwj;त या सितंबर के महीने में पड़ती है। इस बार हरताल&zwj;िका तीज की तिथि को लेकर काफी असमंजस है। व्रत किस दिन रखा जाए इस बात को लेकर पंचांग के जानकार और ज्&zwj;योतिषियों में भी मतभेद है।</p>

<p><br />
लेकिन जानकारों का कहना है कि हरतालिका तीज का व्रत 1 सितंबर को ही रखा जाना चाहिए क्&zwj;योंकि तब दिन भर तृतीया रहेगी। तर्क यह भी है कि हरतालिका तीज का व्रत हस्&zwj;त नक्षत्र में किया जाता है, जो कि 1 सितंबर को है। वहीं, कुछ का मानना है कि हरतालिका तीज का व्रत 1 सितंबर की बजाए 2 सितंबर को रखा जाना चाहिए। उनका मानना है कि चतुर्थी युक्&zwj;त तृतीया को बेहद सौभाग्&zwj;यवर्द्धक माना जाता है। ऐसे में 2 सितंबर को तृतीया का पूर्ण मान, हस्त नक्षत्र का उदयातिथि योग और सायंकाल चतुर्थी तिथि की पूर्णता तीज पर्व के लिए सबसे उपयुक्&zwj;त है। हमारी राय में आप पहले अपने पंडित या ज्&zwj;योतिषि से हरतालिका तीज की तिथि की पुष्टि कर लें और उसी के हिसाब से व्रत करें</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>हरतालिका तीज का महत्&zwj;व</strong></span></p>

<p>हरतालिका तीज का विशेष महत्&zwj;व है। हरतालिका दो शब्&zwj;दों से मिलकर बना है- हरत और आलिका। हरत का मतलब है &#39;अपहरण&#39; और आलिका यानी &#39;सहेली&#39;। प्राचीन मान्&zwj;यता के अनुसार मां पार्वती की सहेली उन्&zwj;हें घने जंगल में ले जाकर छिपा देती हैं ताकि उनके पिता भगवान विष्&zwj;णु से उनका विवाह न करा पाएं। सुहागिन महिलाओं की हरतालिका तीज में गहरी आस्&zwj;था है। महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। मान्&zwj;यता है कि इस व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों को शिव-पार्वती अखंड सौभाग्&zwj;य का वरदान देते हैं। वहीं कुंवारी लड़कियों को मनचाहे वर की प्राप्&zwj;त&zwj;ि होती है।</p>

<p><span style=”color:#2980b9″><strong>हरतालिका तीज की व्रत कथा</strong></span></p>

<p>पौराणिक मान्&zwj;यताओं के अनुसार शिव जी ने माता पार्वती जी को इस व्रत के बारे में विस्तार पूर्वक समझाया था। मां गौरा ने माता पार्वती के रूप में हिमालय के घर में जन्म लिया था। बचपन से ही माता पार्वती भगवान शिव को वर के रूप में पाना चाहती थीं और उसके लिए उन्होंने कठोर तप किया। 12 सालों तक निराहार रह करके तप किया। एक दिन नारद जी ने उन्हें आकर कहा कि पार्वती के कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु आपकी पुत्री से विवाह करना चाहते हैं। नारद मुनि की बात सुनकर महाराज हिमालय बहुत प्रसन्न हुए। उधर, भगवान विष्णु के सामने जाकर नारद मुनि बोले कि महाराज हिमालय अपनी पुत्री पार्वती से आपका विवाह करवाना चाहते हैं। भगवान विष्णु ने भी इसकी अनुमति दे दी।</p>

<p>फिर माता पार्वती के पास जाकर नारद जी ने सूचना दी कि आपके पिता ने आपका विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया है। यह सुनकर पार्वती बहुत निराश हुईं उन्होंने अपनी सखियों से अनुरोध कर उसे किसी एकांत गुप्त स्थान पर ले जाने को कहा। माता पार्वती की इच्छानुसार उनके पिता महाराज हिमालय की नजरों से बचाकर उनकी सखियां माता पार्वती को घने सुनसान जंगल में स्थित एक गुफा में छोड़ आईं। यहीं रहकर उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप शुरू किया जिसके लिए उन्होंने रेत के शिवलिंग की स्थापना की। संयोग से हस्त नक्षत्र में भाद्रपद शुक्ल तृतीया का वह दिन था जब माता पार्वती ने शिवलिंग की स्थापना की। इस दिन निर्जला उपवास रखते हुए उन्होंने रात्रि में जागरण भी किया।</p>

<p>उनके कठोर तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए माता पार्वती जी को उनकी मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया। अगले दिन अपनी सखी के साथ माता पार्वती ने व्रत का पारण किया और समस्त पूजा सामग्री को गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया। उधर, माता पार्वती के पिता भगवान विष्णु को अपनी बेटी&nbsp; से विवाह करने का वचन दिए जाने के बाद पुत्री के घर छोड़ देने से व्याकुल थे। फिर वह पार्वती को ढूंढते हुए उस स्थान तक जा पंहुचे। इसके बाद माता पार्वती ने उन्हें अपने घर छोड़ देने का कारण बताया और भगवान शिव से विवाह करने के अपने संकल्प और शिव द्वारा मिले वरदान के बारे में बताया। तब पिता महाराज हिमालय भगवान विष्णु से क्षमा मांगते हुए भगवान शिव से अपनी पुत्री के विवाह को राजी हुए।</p>

<p><img src=”/media/gallery/images/image(4505).jpeg” style=”height:800px; width:700px” /></p>

Samachar First

Recent Posts

हर 30 सेकंड में वर्षा की बूंदों का आकार, उनकी गति, वर्षा की तीव्रता का लेगगा पता

कांगड़ा एयरपोर्ट पर अत्याधुनिक डिसड्रोमीटर से मौसम अध्ययन को मिलेगा नया आयाम भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम…

8 minutes ago

हिमाचल में नक्शा पास करवाना हुआ महंगा, शुल्क में 5 गुना तक बढ़ोतरी

Himachal building map approval fees: हिमाचल प्रदेश में अब मकान या व्यावसायिक भवन निर्माण और…

3 hours ago

हिमाचल में वेस्टर्न डिस्टरबेंस :बर्फबारी और बारिश की संभावना काफी कम

Himachal snowfall forecast: हिमाचल प्रदेश में आज वेस्टर्न डिस्टरबेंस (WD) के सक्रिय होने का पूर्वानुमान…

5 hours ago

रोहड़ू में कार हादसा: 200 मीटर गहरी खाई में गिरी कार, एक की मौत

Rohru road accident: शिमला जिले के रोहड़ू में बीती शाम को एक दर्दनाक सड़क हादसा…

6 hours ago

2025 के शुभ विवाह मुहूर्त: कौन-से महीने हैं खास?

Vivah Muhurat 2025: हिंदू धर्म में शुभ मुहूर्त के बिना किसी भी शुभ कार्य की…

7 hours ago

शनिवार का राशिफल: मेष से मीन तक, जानें आज का दिन कैसा रहेगा।

Daily horoscope 2024 : चंद्रमा की गणना और सटीक खगोलीय विश्लेषण के आधार पर शनिवार का…

7 hours ago