भारत में ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का, जौ और कई अन्य मोटे अनाज उगाए जाते हैं। ये अनाज आयरन, कॉपर, प्रोटीन जैसे तत्वों से भरपूर होते हैं। यह गेहूं, धान जैसी फसलों की तरह ग्रीन हाउस गैसों में नहीं उगते हैं। गेहूं और धान को उगाने में यूरिया का बहुत प्रयोग किया जाता है। जो नाइट्रस ऑक्साइड, नाइट्रेट, अमोनिया और अन्य तत्वों में बदल जाता है। यह तत्व हवा में घुलकर स्वास्थ्य के लिए खतरा बनते हैं। यह गैस तामपान में भी काफी तेजी से बढ़ती है। इस गैस से सांस की बीमारी हो सकती हैं। लेकिन एक स्टडी में यह पाया गया है कि मोटा अनाज सेहत ही नहीं ब्लकि पर्यावरण को भी दुरुस्त रखता है।
दरअसल, मोटे अनाजों को उगाने के लिए यूरिया की खास जरूरत नहीं होती है। इस कारण ये पर्यावरण के लिए ज्यादा बेहतर होते हैं। यह कम पानी वाली जमीन में भी आसानी से उग जाते हैं। मोटे अनाजों किसान कम उगा रहे हैं, लेकिन सरकार इन्हें उगाने के लिए बढ़ावा देने पर जोर दे रही है। वह इन्हें मिड-डे मील स्कीम में भी शामिल कर रही जा रही है। सरकार इनके पोषक गुणों को देखते हुए लोगों से इनका ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने को कह रही है।