कराले या कचनार का पेड़ आसानी से कहीं भी देखने को मिल जाता है। आयुर्वेद में इसके कई फायदे बताए गए हैं। अगर इसके फूल और छाल को खास तरीके से यूज किया जाए तो इससे कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स को कंट्रोल किया जा सकता है।कचनार का पेड़ बागों में सुन्दरता की बढ़ाने के लिए यह विशेस रूप से लगाया जाता है। इसका पेड़ ऊंचाई में 15 से 20 फुट, झुकी हुई, कमजोर शाखाओं से युक्त होता हैं । इसकी छाल भूरे रंग की, लम्बाई मे जगह-जगह फटी होती है, जिसकी मोटाई एक इंच होती है। Bauhinia variegata प्रजाति के इन पेडों पर लगी कलियों का रायता और सब्जी बनाई जाती है। आज कल जोगिंदर नगर घाटी में कचनार के पेड़ कलियों और फूलों से लदे हुए हैं।
बैसे तो Bauhinia variegata की 500 से अधिक प्रजातियां हैं जैसे एक प्रजाति Bauhinia purprea है। जिसके फूल गहरे रंग के होते हैं। उसे सजावटी पोधै के रूप में ज्या दा इस्तेमाल किया जाता है। पतझड़ के समय यानि फरवरी-मार्च में वृक्ष पर फूल लगते हैं और फल मई तक लगते हैं। फली 6-12 इंच लंबी, लगभग एक इंच चौड़ी, चपटी, चिकनी होती हैं ,जिसमें 10-15 बीज लगते हैं। सफेद कचनार मुख्य रूप से औषधि में प्रयोग होता हैं।
जानिए कराले (कचनार) के फायदे…
1. सूजन पर कचनार से उपचार
शरीर के किसी भाग सूजन होने पर कचनार का प्रयोग किया जाता है। यह बहुत प्रभावी जड़ी होती है। इसके लिए कचनार की जड़ को पानी में घिसकर लेप बनाए। इसे गर्म कर सुजन पर गरम-गरम ही लगाएं। इसे लगाने से थोड़ी देर में आराम मिलेगा।
2. मुंह के छालों में कचनार लगाये
मुह के छाले ठीक अकरने के लिए कचनार की छाल का प्रयोग किया जाता है। कचनार की छाल के काढ़े में थोड़ा- सा कत्था मिलाकर छालों पर लगाते रहने से शीघ्र लाभ मिलता है। अधिक समस्या होने पर इसे कई दिनों तक लगातार लगाना होगा।
3. दांत का दर्द में कचनार से ईलाज
दांत के दर्द को दूर करने के लिए कचनार का प्रयोग किया जाता है | इसके लिए कचनार की छाल को जलाकर राख बनाएं, फिर उससे मंजन करें। दांत दर्द दूर होकर मसूड़ों से रक्तस्त्राव की शिकायत दूर होगी |
4. बवासीर में कचनार से ईलाज
बवासीर एक भयानक रोग है जो अधिकतर कब्ज होने से होता है। इसलिए यदि परमानेंट इलाज करना चाहते है तो सबसे पहले कब्ज को ठीक करना होगा। बवासीर को ठीक करने के लिए कचनार की एक चम्मच छाल को एक कप तक्र के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से बवासीर में होने वाला रक्तस्त्राव बंद हो जाता हैं ।
5. प्रमेह में कचनार से ईलाज
कचनार की हरी और सुखी कलियों का चूर्ण मिसरी की सामान मात्रा मिलाकर एक-एक चम्मच तीन बार कुछ हप्ते तक सेवन करने से प्रमेह में लाभ होगा।
6. रक्त पित्त में कचनार का सेवन
कचनार के सूखे फूलों का चूर्ण एक चम्मच की मात्र में शहद के साथ 3 बार सेवन करने और फूलों की सब्जी खाने से शारीर में से खून गिरने की सारी तकलीफें दूर होती हैं।
7. गण्डमाला होने पर कचनार का सेवन
गंडमाला होने पर कचनार का प्रयोग किया जा सकता है। गंडमाला को ठीक करने के लिए सोंठ का चूर्ण कचनार की छाल के काढ़े में मिलाकर आधा कप की मात्रा में दिन में 3 बार पिलाएं। इसे लगातार 2-3 माह तक प्रयोग करने से फायदा होगा।
8. कब्ज में कचनार का सेवन
कब्ज की समस्या को ठीक करने के लिए कचनार को काफी प्रभावी माना गया है | इसके लिए कचनार के फूलों का गुलकंद रात्रि में सोते समय दो चम्मच की मात्रा में कुछ दिनों तक नियमित सेवन करें | एक माह तक सेवन करने पर इसका असर समझ में आता है।
9. मेदोरोग में कचनार का सेवन
मेदोरोग एक ऐसा रोग है जिसमें रोगी को बड़ी परेशानी होती है। इसे ठीक करने के लिए कचनार का काढ़ा गुग्गुल के साथ दिन में दो बार, एक माह तक लें ।
10. अरुचि में कचनार का सेवन
कई बार लोगों को खाना खाने का मन नहीं करता और अजीब सा जी रहता है | ऐसी स्थिति में कचनार की पुष्प्कलिकाएं घी में भुनकर सुबह-शाम रोजाना खाने से भोजन में रूचि जागृत होगी।
11. अफारा, गैस की तकलीफ में कचनार का सेवन
कचनार की छाल की काढ़ा 20 मिलीलीटर और आधा चम्मच पीसी आज्वायन मिलाकर भोजन के बाद सुबह-शाम पिने से अफारा, गैस की तकलीफ दूर होती है ।
12. खांसी और दमे में कचनार का सेवन
खांसी हो या दमा हो दोनों में कचनार उपयोगी होता है। शहद के साथ कचनार की छाल का काढ़ा दो चम्मच की मात्रा मे 3 बार सेवन करने से खांसी और दमे में आराम मिलता है। इसमें आराम धीरे – धीरे मिलता है अतः आपको धीरज रखना होगा।