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विलुप्त हो रहे भोजपत्र को जाइका करेगा जिंदा  

DESK |

हिमालयन फोरेस्ट रिसर्च इंस्टीच्यूट के साथ मिलकर होगा काम
मुख्यमंत्री वन विस्तार योजना में जाइका करेगा सहयोग
जनवरी में तैयार होगा ई-कॉमर्स, हर साल लगेगा जाइका मेला
कार्यकारी समिति की 18वीं बैठक में लिया निर्णय

शिमला। हिमाचल प्रदेश में विलुप्त हो चुके भोजपत्र को जिंदा करने के लिए जाइका वानिकी परियोजना कार्य करेगी। हिमालयन फोरेस्ट रिसर्च इंस्टीच्यूट के सहयोग से अगले साल यानी 2024 से भोजपत्र पर काम शुरू होगा। इसके लिए जाइका वानिकी परियोजना ने पूरा प्लान तैयार कर दिया है। मंगलवार को जाइका वानिकी परियोजना की कार्यकारी समिति यानी ईसी की 18वीं बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक की अध्यक्षता जाइका के मुख्य परियोजना निदेशक नागेश कुमार गुलेरिया ने की।

उन्होंने कहा कि ईसी की मीटिंग में ई-कॉमर्स पोर्टल शुरू करने का निर्णय लिया गया। जनवरी माह में यह पोर्टल तैयार होगा और स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित उत्पादों की बिक्री भी इसी पोर्टल के माध्यम से की जाएगी। नागेश कुमार गुलेरिया ने कहा कि जाइका के जड़ी-बूटी सैल ने दो मॉडल तैयार कर दिए हैं, जिसपर जल्द ही कार्य शुरू होंगे। बुरांश, वाइल्ड मैरीगोल्ड और सतुवा पर काम होगा। जिससे स्वयं सहायता समूह उत्पाद तैयार कर अपनी आर्थिकी कमा सकेंगे।

उन्होंने कहा कि बैठक में प्रदेश के सभी वन मंडल स्तर पर आउटलैट खोलने का भी निर्णय लिया। नागेश कुमार गुलेरिया ने कहा कि जाइका वानिकी परियोजना अब मेले का आयोजन भी करेगी। जिसमें स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार हर तरह के उत्पादों की प्रदर्शनी के साथ-साथ बिक्री की जाएगी। मुख्य परियोजना निदेशक नागेश कुमार गुलेरिया ने कहा कि मुख्यमंत्री वन विस्तार योजना में जाइका वानिकी परियोजा पूरा सहयोग करेगी। इस कार्य को ग्राम वन विकास समितियों के सहयोग से पीएफएम मोड़ यानी सहभागिता वन प्रबंधन के माध्यम से किया जाएगा।

आय सृजन गतिविधियों को और बढ़ाएगा जाइका

मुख्य परियोजना निदेशक नागेश कुमार गुलेरिया ने कहा कि ईसी की बैठक में स्वयं सहायता समूहों की आय सृजन गतिविधियों को और सुदृढ़ बनाने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि जाइका वानिकी परियेाजना का अपना ब्रंाड हिमट्रेडिशन के तहत सभी आउटलैट्स में ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स, हिमाचली टोपी, शॉल, आचार समेत कई अन्य उत्पादों की बिक्री होगी। ईसी की बैठक में परियोजना निदेशक श्रेष्ठानंद शर्मा, जैव विविधता विशेषज्ञ डा. एसके कापटा, अतिरिक्त परियोजना निदेशक कुल्लू हेमराज भारद्वाज, हिमालयन रिसर्च ग्रुप के निदेशक डा. लाल सिंह समेत पीएमयू स्टाफ उपस्थित रहे।