आए दिन उच्च रक्तचाप के मामले पड़ने और सुनने को मिलते रहते हैं। खामोश हत्यारे के नाम से कुख्यात ब्लड़ प्रेशर दिल और मस्तिष्क के दौरे के खतरे को कई गुना बढ़ा देता है। चिकित्सा विशेषज्ञ बताते हैं कि उच्च रक्तचाप के कारण दिल के दौरे व ब्रेन अटैक या स्ट्रोक होने का खतरा दोगुना हो जाता है और अगर हाइपरटेंशन के अलावा तनाव एवं नींद की समस्या भी हो तो यह खतरा चार गुना तक बढ़ सकती है। डॉ. गुप्ता कहते हैं कि हाइपरटेंशन 'साइलेंट किलर' के नाम से भी जाता है, क्योंकि उच्च रक्तचाप से पीड़ित 30 प्रतिशत से अधिक लोगों को इससे पीड़ित होने का पता नहीं होता है। ज्यादातर बार, इसके बहुत मामूली लक्षण प्रकट होते हैं या कोई लक्षण नहीं होते हैं। आपको जिन कुछ संकेतों पर ध्यान देना चाहिए, वे हैं- सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द या भारीपन, सिरदर्द, हृदय की अनियमित धड़कन, देखने में समस्या, पेशाब करने में समस्या आदि।
हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक के बीच गहरा रिश्ता है। हृदय रोग विशेषज्ञ व नई दिल्ली स्थित कालरा हॉस्पीटल एंड श्रीराम कार्डियो थोरेसिक एंड न्यूरोसाइंसेस सेंटर (एसआरसीएनसी) के निदेशक डॉ. आरएन कालरा ने बताया कि अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि हाई ब्लड प्रेशर और दिल के दौरे के बीच गहरा संबंध है। यह हृदय रोग के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है, क्योंकि जब रक्तचाप बढ़ जाता है, तो शरीर के चारों ओर रक्त पंप करने के लिए हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इस अतिरिक्त काम से दिल की मांसपेशियां मोटी होने लगती हैं, और इससे धमनी की दीवारें कठोर हो सकती हैं या उन्हें नुकसान भी पहुंच सकता है। इसके कारण, शरीर के अंगों तक कम ऑक्सीजन पहुंचता है और हृदय के अधिक काम करने के कारण समय के साथ हृदय क्षतिग्रस्त हो जाता है।
नई दिल्ली स्थित फोर्टिस एस्कार्ट हार्ट इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर के न्यूरोसर्जरी विभाग के निदेशक डॉ. राहुल गुप्ता के अनुसार, हाई ब्लड प्रेशर न केवल दिल के दौरे के खतरे को बढ़ाता है, बल्कि यह ब्रेन स्ट्रोक का भी एक प्रमुख कारण है। नवीनतम वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, हाइपरटेंशन के कारण ब्रेन स्ट्रोक होने का खतरा दोगुना हो जाता है। सिस्टोलिक रक्तचाप में हर 10mm हीमोग्राम बढ़ने से इस्कीमिक स्ट्रोक का खतरा 28 प्रतिशत तथा हैमेरेजिक स्ट्रोक का खतरा 38 प्रतिशत बढ़ता है। हालांकि उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण रखने पर स्ट्रोक होने का खतरा घट जाता है।
वर्ष 2012 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 13 करोड़ 90 लाख लोग अनियंत्रित उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं और यह संख्या हर साल बढ़ रही है। भारत में वर्ष 1960 में हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों का आंकड़े 5 प्रतिशत था जो 1990 में बढ़कर लगभग 12 प्रतिशत हो गया। वर्ष 2008 में यह बढ़कर 30 प्रतिशत हो गया और लोग अपने 20 के दशक में भी हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित होने लगे। भारत में सभी स्ट्रोक से होने वाली मौतों में से 57 प्रतिशत और कोरोनरी हृदय रोग से होने वाली 24 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार हाई ब्लड प्रेशर है।