प्रदेश में सर्दियों में बर्फबारी व ठंड के चलते अनेक स्थानों पर पशु चारे की समस्या पैदा होने लगती है. इसी को लेकर किसान अक्टूबर मास से लेकर सुखी घास का संग्रहण शुरू कर देते हैं. सिरमौर जिला में भी पर्वतीय क्षेत्रों में हिमपात होता है. तो कई स्थानों पर अधिक ठंड पड़ने के कारण पशु चारे की समस्या होती है.
इस समस्या से निपटने के लिए जिला में किसान सर्दियों से एक माह पूर्व ही सुखी घास का संग्रहण करने लगते हैं. यह घास ताकि खराब न हो. इसे पड़े तरिके से पेड़ों पर या फिर घास का गुंबद बनाकर रखा जाता है.
इस तरिके से घास रखने पर न तो घास बारिश, हिमपात से खराब होता और पशुओं को चारा भी मिल जाता है. सिरमौर जिला में अलग अलग स्थानों पर सुखी घास को संग्रहण करने के पारम्परिक तरीके हैं. जिससे न केवल घास सुरक्षित रहता है. अपितु ये पेड़ों इत्यादिसे टंगे घास के ढ़ेर एक आकर्षक नजारा भी पेश करते हैं.
किसानो के अनुसार यदि अक्टूबर मास से घास को इकठा किया जाता है. तो यह घास सुरक्षित भी रहता है और साथ ही इसकी पोषकता भी बनी रहती है. शिला देवी ने बताया कि वो लोग सर्दियों के लिए एक खास तरीके से सूखे घास को पेड़ में या फिर गुंबद बनाकर रखते हैं इससे घास खराब नहीं होता और सर्दियों में उपयोग में लाया जाता है.
किसान दुर्गा दास ने बतायाकि घास को सर्दी के लिए सरंक्षण करने का यह पारम्परिक तरीका है और इससे घास खराब नहीं होता ,साथ ही अगर अक्टूबर में घास काटकर रखा जाये तो यह बहुत उपयोगी रहता है.
उल्लेखनीय है कि सिरमौर में कई स्थानों पर किसान सर्दी में घास संग्रहण किया जाता है. जोकि सर्दियों में पशुओं के चारे में अहम भूमिका निभाता है.
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