बिहार में राजनीतिक उथल-पुथल और गुजरात के तीन कांग्रेसी विधायकों द्वारा इस्तीफा देने जैसी प्रमुख घटनाएं बीजेपी को चुनावों में जीत रणनीति का खुलासा करती हैं। यहीं नहीं गुजरात में कांग्रेस के विधायक का बीजेपी का हाथ थामना भी बीजेपी के 50 प्लस के लक्ष्य को दर्शाता है। हिमाचल प्रदेश की तरह गुजरात में भी आगामी विधानसभा चुनाव शीघ्र घोषित होने वाले हैं और निश्चियता ही पार्टी अपनी जीत के लिए सभी हथकंडे अपनाएगी।
इसी कड़ी में हिमाचल की बात करें तों प्रदेश में बीजेपी ने सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को प्रचार का मुद्दा बनाया हुआ है। कोटखाई -प्रकरण में आक्रामक विरोध के बाद अब बीजेपी मुख्यमंत्री के पुतले फूंकने जैसे विरोध के माध्यम से प्रदेश में मंडल कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर रही है। अगस्त के दूसरे सप्ताह से बीजेपी प्रदेश में अपने प्रचार को और तेज धार दे रही है। प्रदेश कार्यकारिणी की इन दिनों होने वाली बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कार्य-योजना बनाना अहम मुद्दा होगा।
हिमाचल के आगामी विधानसभा चुनावों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीधी नज़र है। कारण स्पष्ट है कि बीजेपी के खाते में एक राज्य और जुड़ जाएगा और कांग्रेस का किला प्रदेश में ध्वस्त हो जाएगा। इससे 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को और अधिक आसानी होगी। बीजेपी के सभी कद्दावर नेता आश्वस्त हैं कि पार्टी इस बार आवश्य ही भारी बहुमत से चुनाव जीतेगी। केंद्रीय हाईकमान का जीत के लिए अपनाया गया मापदंड हिमाचल में भी जस का तस लागू होगा।
गुजरात में कांग्रेस के टूटने पर नेताओं को बीजेपी में शामिल करने से हाईकमान को कोई गुरेज़ नहीं हुआ, तो हिमाचल में अलग मापदंड अपनाने की हाईकमान हिमाकत नहीं कर सकता। वैसे भी बीजेपी हाई कमान के रडार पर बहुत से कांग्रेसी कार्यकर्ता और नेता हैं। अगर बिहार और गुजरात का खेल यहां भी खेला गया तो बीजेपी को राजनीतिक लाभ होगा या नहीं यह तो आनेवाल समय ही बतायेगा। लेकिन, हिमाचल जैसे शांत पहाड़ी प्रदेश में नई राजनीति का आगाज़ जरुर होगा। वैसे भी हिमाचल बीजेपी के राष्ट्रीय प्रभारी मंगल पांडेय का राजनीतिक आधार बिहार से है और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का राजनैतिक आधार है।
(ऊपरोक्त विचार वरिष्ठ स्तंभकार विवेक अविनाशी के हैं। विवेक अविनाशी काफी लंबे अर्से से हिमाचल की राजनीति पर टिप्पणी लिखते रहे हैं और देश के नामचीन पत्र-पत्रिकाओं में इनके विचार पब्लिश होते रहे हैं।)