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BJP के लिए ‘वाटर लू’ न बन जाए नगरोटा बगवां की रैली, कांगड़ा में बढ़ सकता है असंतोष

डेस्क |

डेस्क। बीजेपी का सो कॉल्ड हाई प्रोफाइल रैली नगरोटा बगवां में अपने फ्लॉप प्रदर्शन के साथ गुरुवार को खत्म हो गई. पूरे कांगड़ा जिले से 50 हजार लोगों के जुटान का दावा किया गया था. हर विधान सभा से 2000 लोगों को लाने का टारगेट दिया गया था. लेकिन, रैली स्थल तक महज 5 हजार की संख्या बल ही पहुंच पाई. यहां तक कि इसमें से भी अधिकांश कार्यकर्ता BJP के बड़े नेताओं के भाषण शुरू होने से पहले ही अपने अपने घरों को पलायन करने लगे. ऐसे में रैली का तापमान उतरने के पीछे कई तरह की वजहों को तलाशा जा रहा है.

नगरोटा बगवां में रैली का फैसला ग़लत

BJP ने नगरोटा बगवां को बतौर चुनावी रणभेरी बजाने का चुनाव करके ही गलत फैसला ले लिया. यह सभी जानते हैं कि यहां से पूर्व मंत्री GS बाली की तूती बोलती थी और अभी उनके चीता से उठे इमोशन की आग ठंडी भी नहीं हुई थी कि बीजेपी ने उन्हीं के क्षेत्र को कांगड़ा जिले में अपना लॉन्चिंग पैड बना लिया. जबकि, जमीन पर यहां माहौल पूरी तरह GS बाली के बेटे RS बाली के लिए माहौल बन चुका है. सबसे बड़ी बात कि यहां गांव देहात के लोगों को वर्तमान विधायक ने लोगों को बुनियादी जरूरत की सहूलियत भी नहीं दी. जबकि, बाली के शासनकाल में पिछड़ा क्षेत्र नगरोटा बगवां शिक्षा और विकास का एक मॉडल बन गया. वहीं, लोगों को रोजगार भी खूब मिले. जबकि, इस सरकार से सिर्फ यहां के लोगों को निराशा ही मिली.

GS बाली और कांगड़ा इफेक्ट

GS बाली को उनके विरोधी भी “कांगड़ा जिला के शेर” के तौर पर संबोधित करते थे. कांगड़ा के लोग भी उनको अपने लिए बतौर हिम्मत के तौर पर देखते थे. लिहाजा, जब बात GS बाली के कर्म क्षेत्र नगरोटा बगवां में बीजेपी की मेगा रैली की आई तो कांगड़ा जिले से यहां के लिए हुजूम का मन भर समर्थन नहीं मिल पाया.

BJP की अंदरूनी पॉलिटिक्स

नगरोटा बगवां की रैली के सफल नहीं होने में एक वजह BJP की अंदरूनी सियासत भी रही. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के प्रति एक धड़ा पॉजिटिव राय नहीं रखता. जनता से ज्यादा इन्हें संगठन का नेता माना जाता है. लिहाजा, जमीन पर जब जनता के साथ की बात आई तो जनाधार का बल गायब दिखा.

BJP के लिए वाटर लू न बन जाए नगरोटा बगवां

वाटर लू की जंग और इसके ऐतिहासिक महत्व के बारे में थोड़ा बहुत इतिहास के विद्यार्थी और राजनीति के माहिर लोग जानते हैं. दरअसल, धुआंधार जीत का प्रतीक बन जाने वाले नेपोलियन को यहीं पर ऐसी शिकस्त मिली की उसका साम्राज्य और सारी लड़ाई ध्वस्त हो गई. उसी तर्ज पर कांगड़ा सबसे बड़ा जिला है और विधानसभा सीटें भी काफी हैं. यहां सभी जगह पूर्व मंत्री GS बाली का प्रभाव भी रहा है. इस दौरान जब उनके दुनिया में नहीं होने से एक इमोशनल लहर है… उसमें नगरोटा बगवां से बीजेपी का युद्धघोष पूरे कांगड़ा जिले में असंतोष को हवा दे सकता है. और कई सीटों पर डेंट लगने की बीजेपी को पूरी आशंका बन सकती है.