विवेक अविनाशी।। हिमाचल प्रदेश की तेरहवीं विधान सभा के लिये चुनाव-प्रचार शाम 5 बजे समाप्त हो जाएगा। लगभग एक मास तक प्रदेश में चलने वाले इस चुनाव प्रचार की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि एक तरफ भारतीय जनता पार्टी का पूरा कुनबा प्रचार के लिये लगा रहा दूसरी ओर कांग्रेस का प्रचार- भार केवल मात्र वीरभद्र सिंह के कंधों पर रहा। हालांकि, केंद्रीय नेतृत्व के एक-दो चेहरे कुछ मौकों पर हिमाचल की दौरे पर दिखाई दिए। लेकिन, बीजेपी की तुलना में कांग्रेस हाईकमान की मौजूदगी बेहद कम रही।
बीजेपी के ताबड़तोड़ प्रचार का स्थानीय कांग्रेस के नेताओं ने अपने हिसाब से कांउटर करने में भी कामयाब दिखे। हाईप्रोफाइल प्रचार के बीच जिस तरह से प्रदेश की कई सीटों पर कांटे की टक्कर है, उसके मद्देनजर यह भी दर्शाता है कि जनता प्रचार नहीं बल्कि स्थानीय मुद्दों को लेकर ज्यादा संजीदा है। जनता अपने लोकल लीडरशिप को राष्ट्रीय लीडरशिप से ज्यादा तरजीह देती हुई जान पड़ रही है।
प्रचार के दौरान बीजेपी माफिया राज समेत भ्रष्टाचार का मुद्दा बनाया तो वहीं कांग्रेस की तरफ से केंद्र की नीतियों को जनता के बीच रखा गया। कुल्लू जैसे क्षेत्र में तो मोदी के बयान पर आपत्ति भी जताई गई थी । मोदी ने देवभूमि को दानवों से बचाने की बात की थी । उसके साथ ही कुल्लू में देव भूमि को ड्रग माफिया भूमि कहा था । दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने नरेंद्र मोदी सरकार को महंगाई के मुद्दे पर आड़े हाथों लिया। इसके अलावा जुमलेबाजी जैसे लफ्ज का इस्तेमाल कर कांग्रेस के नेता खासा आक्रामक दिखाई दिए।
इस दौरान हाईप्रोफाइल चले चुनाव प्रचार में हर प्रत्याशी ने अपनी ताकत झोंक दी। वहीं, इस चुनाव में कई सीटें ऐसी हैं जहां पर निर्दलीयों की भूमिका अहम साबित होने वाली है। माना जा रहा है कि कई सीटों पर तो कद्दावर नेताओं को हराने में निर्दलीय ही बड़ा कारण बनने वाले हैं।
हिमाचल के चुनाव प्रचार का एक अहम पहलू यह है कि चुनाव प्रचार के आखिरी मौके तक भी भारतीय जनता पार्टी का शीर्षस्थ नेतृत्व चुनाव प्रचार में व्यस्त है। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन भी केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह चम्बा और बड़सर में जनसभा करेंगे और स्मृति ईरानी द्रंग, जसवां परागपुर और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री डोडरा क्वार में जनसभा करेंगे । शाम 5 बजे समाप्त होने वाले चुनाव प्रचार के बाद प्रत्याशी अब घर-घर जा कर प्रचार करेंगे ।
(उपरोक्त विचार वरिष्ठ स्तंभकार विवेक अविनाशी के हैं। विवेक अविनाशी काफी अर्से से हिमाचल की राजनीति पर अपनी टिप्पणी पत्र-पत्रिकाओं के जरिए करते रहे हैं।)