हिमाचल विधानसभा चुनाव के मतदान से ठिक पहले चर्चाओं का बजार गर्म है। हर मोहल्ले, नुक्कड़, चौराहा जैसे तमाम जगहों पर आप कहीं भी चले जाओ, हर तरफ चुनावी चर्चा ही सुनने को मिल रही है। हर वर्ग अपनी रणनीति के तहत ही चर्चा करते हुए नजर आएगा। क्योंकि, ये चुनावी चर्चाएं ही तो होती हैं ,जो राजनीति के स्वरूप को बदलने का माद्दा रखती हैं। हर पार्टी के नेता और निर्दलीय उम्मीदवारों का ध्यान भी इन्हीं चर्चाओं पर ज्यादा रहता है। लिहाजा, वो भी अपने सिपह- साहलारों को गुप्प- चुप्प तरीके से इन चर्चाओं में भेजते हैं और हवाओं का रूख क्या है ,जनता उनके बारे में क्या कहती है उसकी जानकारी हासिल करते हैं।
समाचार फर्स्ट की टीम ने भी हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र की हवाओं का रूख जानने की कोशिश की। हमीरपुर लोकसाभ क्षेत्र में 17 विधानसभाएं हैं। वर्तमान में इस क्षेत्र में कई हाई-प्रोफाइल सीटें हैं जिनकी वजह से यहां सभी की निगाहें टिकी हैं।
हमारी टीम ने सबसे पहले बिलासपुर का रूख किया । बिलासपुर कि जनता क्या कहती है और क्या सोच कर मतदान करेगी यह जानने की कोशिश की। बिलासपुर की जनता में मतदान को लेकर गजब का जोश देखने को मिला। हर वर्ग अपना अपना विचार रखता नजर आया । बिलासपुर में एम्स नुक्कड़ चर्चा का प्रमुख मुद्दा रहा। लोगों में एम्स को लेकर खासा उत्साह देखने को मिला और खुश नजर आए कि अब इस इलाके में जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधांए मिलेंगी। उन्हें बेहतर इलाज के लिए अपने शहर से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। बिलासपुर में जब हम और चर्चा में शामिल हुए तो ,मौजूदा विधायकों और नड्डा को लेकर चर्चा अधिक नज़र आई। राजेश धर्माणी को पढ़ा- लिखा जरूर बताया और बम्बर को कांग्रेस का बम , रामलाल के लिए अस्तित्व की लड़ाई चर्चा में रही और बीरूराम को गोल्डन चांस वाला नेता बताया गया।
इन सबके बीच जेपी नड्डा का नाम एम्स के लिए काफी चर्चा में रहा ,लेकिन मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा से बिलासपुर थोड़ा परेशान भी नज़र आया ,क्योंकि यहां पर आशा नड्डा से लोगों को कुछ ज्यादा ही हो चली थी। इन सबके बीच एम्स की चर्चा में अनुराग ठाकुर का नाम भी चलता रहा और उनके बयान भी।
ट्रेवल करते करते हम थोड़ा थक गए। लिहाजा हम धरमपुर चाय पीने के लिए रूक गए। वैसे भी आजकल चाय के दौरान चर्चाएं ज्यादा होती हैं और इन्हीं चर्चाओं के दौरान आप को जनता के मिजाज का भी पता चलता है और वो अपने नेताओं के बारे में क्या सोचते हैं इसका अंदाजा भी आसानी से लगाया जा सकता है। धरमपुर में चाय के दौरान हमने यहां के लोगों से उनके मिजाज को जानने की कोशिश की। इस क्षेत्र में जनता अपने नेता से कहीं ना कहीं नाराज दिखी।
यहां के लोग बीजेपी के उम्मीदवार से थोड़ा नाराज दिखे। लोगों का कहना था कि सिर्फ नेताओं का ही का विकास होता है ,इलाके का नहीं। अब क्या यही नाराजगी था या कुछ और भी, इसका पता नहीं चल पाया । हमने भी उनकी नाराजगी को कुरेतने की ज्यादा कोशिश नहीं कि,क्योंकि हम जानते थे कि जनता अपने विवेक का इस्तेमाल मतदान के दिन ही करती है। और उससे पहले वो कभी भी खुलकर विरोध प्रकट नहीं करती है। क्योंकि मतदाता अब समझदार हो चुका है और वो वोट के जरिए ही चोट करने का माद्दा रखता है।
इसके बाद हमने ऊना की ओर रूख किया, ऊना में कैसे हरोली का विकास बुलंदी पर रहा, इसको लेकर अक्सर लोग बात करते नज़र आये। ऊना में अगर कुछ सुनने को मिली, तो वो था हरोली का विकास ,सतपाल सत्ती की कार्यशैली पर जरूर लोग सवाल उठाते नजर आए, मुकेश के काम की चर्चा वहां अधिक नज़र आई। यहाँ पर पंजाबी टच भी लोगों में दिखा। इस लिए आपस की चर्चा बेबाक थी। बेबाक का मतलब बिना किसी खौफ के अपने विचार प्रकट कर रहे थे।
धूमल के मुख्यमंत्री उम्मीदवार की घोषणा को लेकर बीजेपी का एक वर्ग खासा उत्साहित नज़र आया। इसके साथ ही अनुराग ठाकुर के शहीद स्मारक के वादे पर लोगों की नाराजगी भी देखने को मिली। लेकिन, ऊना में धूमल के मुख्यमंत्री उमीदवार की घोषणा का असर जरूर नतीजों में देखने को मिलेगा ऐसा लोगों का कहना था। इसके बाद हमारी टीम जब कांगड़ा की उन तीन विधानसभाओं में पहुंची जो हमीरपुर संसदीय में हैं ,तो वहां स्थिति कांग्रेस के लिए सुखद नहीं थी, लेकिन बीजेपी के लिए भी राह इतनी आसान नजर आती नहीं दिखी। यहाँ मुद्दा सेंट्रल यूनिवर्सिटी था, जो अभी तक राजनीति की भेंट चढ़ा हुआ है ।
हमीरपुर की बारी आई तो धूमल फैक्टर की बात यहाँ दिखी, हमीरपुर विधानसभा के अलावा बाकी सभी जगहों पर बीजेपी भी जीत के जुगाड़ में ही नज़र आई । लोगों को अनिल धीमान का टिकट काटकर बहार के उमीदवार को मैदान में उतारना पसंद नहीं आ रहा, अगर धूमल फैक्टर के नाम पर वोट होगा तो सुखद नतीजा रहेगा। तो वहीं, नादौन में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुक्खू चुनावी मैदान में हैं ,यहां सुक्खू का राजनीतिक करिअर दांव पर लगा है। सभी जानते हैं कि ,सुक्खू और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के आपसी रिश्ते कितने मधुर हैं। किस तरह सुक्खू ने मुख्यमंत्री के खिलाफ पार्टी में मोर्चा खोले रखा ,ये सब बातें आम आदमी की चर्चा का विषय रही। रोजगार ,कांग्रेस का घोषणा पत्र, बीजेपी का VISION DOCUMENT,बन्दर ,नेताओं के कार्यशैली ,जहाजी नेताओं पर चर्चा ,गायब रहने वाले नेताओं की निंदा और हाई प्रोफाइल बने नेताओं पर आम आदमी की टिपण्णियां ये साबित करती है कि नेताओं के लिए इस बार की राह इतनी आसान नहीं होगी ।
9 नवंबर को मतदान होना है और अब नेताओं की किस्मत की चाबी जनता के पास है, जनता तय करेगी की इस चुनावी इम्तिहान में कौन पास होगा और कौन फेल,18 दिसंबर तक इंतजार करना होगा। तब तक नेताओं की धड़कने तेज धड़कती रहेंगी और जनता चैन की बांसुरी बजाती रहेगी।