हिमाचल में बीजेपी की बात जब भी की जाती है तो पूर्व मुख्यमंत्री धूमल और ठाकुर जगदेव चंद का नाम जनसंघ के संस्थापक के रूप में लिया जाता है। कांगड़ा और हमीरपुर जिला राजनीति का केंद्र होते थे। 1970 के बाद पहली बार हमीरपुर में ऐसी स्थिति बनी है कि प्रदेश में बीजेपी की सरकार है और यहां से सिर्फ 2 ही विधायक बीजेपी के हैं। वहीं, कैबिनेट में भी कोई मंत्री हमीरपुर से नहीं है। इससे हमीरपुर की राजनीति हाशिए पर खड़ी नजर आ रही है।
ठाकुर जगदेव चंद के देहांत के बाद पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल पावर सेंटर बनकर उभरे और 1998 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और 2007 में एक बार फिर से मुख्यमंत्री बने। 2018 में भी बीजेपी ने उनको उमीदवार तो घोषित किया लेकिन, वो अपना चुनाव हार गए।
ऐसा पहली बार हुआ है कि जिस जिले से बीजेपी ने ठाकुर जगदेव चंद और उसके बाद प्रेम कुमार धूमल जैसे दिग्गज राजनेता दिए आज उस जिले से बीजेपी का कोई नुमाइंदा सरकार में नहीं है।
कांग्रेस के शासन में ऐसी स्तिथि अक्सर हमीरपुर से रही है लेकिन, अब जब बीजेपी के राज में ऐसा हो रहा है तो ये हमीरपुर की राजनीति के लिए ही गंभीर मसला नज़र आ रहा है। अब हमीरपुर की जनता की निगाहें भी हाई कमान पर टिक्की हैं।