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चुनाव नही छोड़ रहे CM जयराम ठाकुर का पीछा, तो क्या चुनाव में ही बीत जाएंगे मुख्यमंत्री आने वाले पौने दो साल भी?

पी. चंद, शिमला |

मुख्यमंत्री बनने के बाद सिर्फ़ लोकसभा चुनाव तक जयराम ठाकुर ने सत्ता को समझने में समय व्यतीत किया। तत्पश्चात मुख्यमंत्री चुनावों व उपचुनाव में ही उलझे हुए हैं। यही वजह है कि सत्ता एवम अफसरशाही में तालमेल की कमी के आरोप लगते रहे है। लोकसभा चुनाव के बाद धर्मशाला और पच्छाद का उपचुनाव सिर पर आ गया। उससे निबटे तो कारोना ने डेरा डाल दिया। कुछ हालात संभले तो पंचायत चुनाव चल पड़े। अब चार नगर निगमों के चुनाव सिर पर है। सरकार के अब ओने पोने दो साल बचे है। इसमें भी चुनाव का ही बोलबाला है।

सबको लग रहा था कि अब प्रदेश के लिए कुछ होगा लेकिन इसके बाद फतेहपुर और मंडी का उपचुनाव अचानक आ जाएगा जो किसी ने सोचा भी नहीं था। जैसे ही इससे निबटेंगे नगर निगम शिमला का चुनाव मई माह में होना है जिसको सत्ता का सेमीफाइनल माना जाता है सिर पर आ जाएगा। ऐसे में सरकार कर्ज़ न ले तो क्या करे क्योंकि चुनावों से फुर्सत हो तो दूसरा काम हो। वैसे भी आने वाली सरकारों को कर्ज़ के सहारे ही आगे बढ़ना है। ऐसे में प्रदेश के लोग सरकार से कोई बड़ी उम्मीद न लगाएं क्योंकि कर्ज का मर्ज बड़ा दर्द बनने वाला है।