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चुनावी रण में बुजुर्ग नेताओं की इमोशनल अपील, क्या पिघलेगी जनता?

<p style=”text-align:justify”><span style=”font-size:10pt”><span style=”font-family:&quot;Mangal&quot;,&quot;serif&quot;”>इधर ज्यों-ज्यों हिमाचल प्रदेश में चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं</span></span>, <span style=”font-size:10pt”><span style=”font-family:&quot;Mangal&quot;,&quot;serif&quot;”>हिमाचल के दोनों प्रमुख पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस के उम्रदराज़ नेता चुनावी राजनीति से खुद को दूर करने की कवायद में या तो आगामी</span></span> <span style=”font-size:10pt”><span style=”font-family:&quot;Mangal&quot;,&quot;serif&quot;”>विधानसभा सभा चुनाव नही लड़ने की बात कर रहे हैं या फिर आगामी चुनावों को अपने</span></span> <span style=”font-size:10pt”><span style=”font-family:&quot;Mangal&quot;,&quot;serif&quot;”>राजनैतिक जीवन का अंतिम चुनाव कह कर प्रदेश की जनता</span></span> <span style=”font-size:10pt”><span style=”font-family:&quot;Mangal&quot;,&quot;serif&quot;”>की सहानुभूति बटोरना चाहते हैं। राजनीति से सन्यास लेने की शुरुआत</span></span> <span style=”font-size:10pt”><span style=”font-family:&quot;Mangal&quot;,&quot;serif&quot;”>भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता </span></span>,<span style=”font-size:10pt”><span style=”font-family:&quot;Mangal&quot;,&quot;serif&quot;”>हिमाचल प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री एवं कांगड़ा- चम्बा लोकसभा क्षेत्र से वर्तमान लोक सभा सदस्य शान्ता कुमार ने की है। उन्होंने मई.</span></span>2014 <span style=”font-size:10pt”><span style=”font-family:&quot;Mangal&quot;,&quot;serif&quot;”>के लोकसभा चुनावों में मतदाताओं को एक पत्र लिख निवेदन किया था कि यह मेरा अंतिम चुनाव है अतः इस बार उन्हें विजयश्री प्रदान की जाए।शान्ता कुमार की</span></span> <span style=”font-size:10pt”><span style=”font-family:&quot;Mangal&quot;,&quot;serif&quot;”>इस भावुकता भरी अपील को</span></span> <span style=”font-size:10pt”><span style=”font-family:&quot;Mangal&quot;,&quot;serif&quot;”>मतदाताओं ने स्वीकार किया और शान्ताकुमार चुनाव जीत गए। अब उम्रदराज़ नेता शान्ता कुमार खुद को चुनावी राजनीति से दूर कर</span></span> <span style=”font-size:10pt”><span style=”font-family:&quot;Mangal&quot;,&quot;serif&quot;”>पालमपुर स्थित अपने ट्रस्ट-विवेकानन्द मेडिकल रिसर्च ट्रस्ट(वीएमआरटी)के माध्यम से समाज सेवा करने का इरादा रखते हैं।शान्ता कुमार ने इस ट्रस्ट के कार्य को विस्तार देने के लिए इस वर्ष गोकुल नाम से गौशाला खोलने का भी निर्णय लिया है । शान्ताकुमार का समूचा राजनैतिक जीवन निष्कलंक और बेदाग रहा है। यहां तक कि अटल जी के शासन काल में</span></span> <span style=”font-size:10pt”><span style=”font-family:&quot;Mangal&quot;,&quot;serif&quot;”>देश के खाद्य मंत्री के रूप में शान्ता कुमार के कुशल प्रशासन को</span></span> <span style=”font-size:10pt”><span style=”font-family:&quot;Mangal&quot;,&quot;serif&quot;”>खूब सराहा गया था।यह ऐसा मंत्रालय बन चुका था जहां से बेदाग निकलना किसी भी</span></span> <span style=”font-size:10pt”><span style=”font-family:&quot;Mangal&quot;,&quot;serif&quot;”>मंत्री के लिए बहुत मुश्किल था। शान्ता कुमार ने इस मन्त्रालय को भी बखूबी चलाया और जब तक इस मंत्रालय में रहे अपनी शर्तों पर</span></span> <span style=”font-size:10pt”><span style=”font-family:&quot;Mangal&quot;,&quot;serif&quot;”>पूर्ण निष्ठा से कार्य किया। शान्ताकुमार &nbsp;अपनी&nbsp; राजनैतिक विरासत अपने परिवार को सौपने&nbsp; के सदैव खिलाफ रहे हैं l </span></span></p>

<p style=”text-align:justify”><span style=”font-size:10pt”><span style=”font-family:&quot;Mangal&quot;,&quot;serif&quot;”>इधर कांग्रेस पार्टी में भी यह सिलसिला ज़ारी है l&nbsp; मंडी जिला के एक कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और ठाकुर कौलसिंह ने भी हिमाचल के आगामी विधान सभा चुनाव को&nbsp; भी अपने जीवन का &nbsp;अंतिम चुनाव कहा है l&nbsp; शान्ता कुमार और वीरभद्र सिंह की उम्र में केवल 6 महीने का अंतर है l वीरभद्र सिंह के हिमाचल में मुख्यमंत्री के रूप में यह पारी अत्यंत निराशाजनक रही है l वास्तव में केंद्र में इस्पात मंत्री के रूप में कार्य करते हुए उन पर &nbsp;भ्रष्टाचार के आरोप थे जिनके कारण &nbsp;प्रशासन सहित मुख्यमंत्री का पूरा ध्यान इस अवधि में कोर्ट -कचहरी में ही रहा l अब&nbsp; चुनाव नजदीक होने से पहले कोटखाई के गुडिया &nbsp;हत्या कांड ने समूचे हिमाचल को हिला कर रख दिया है l &nbsp;इस जघन्य कांड से हिमाचल में कांग्रेस बैकफुट पर आ गयी है l&nbsp; कांग्रेस इस स्थिति को सम्भालने में नाकाम रही है l थोडा बहुत डैमेज कंट्रोल अगर कहीं हो पाया तो सीबीआई जांच के &nbsp;निष्कर्षों के बाद ही हो सकता हैl &nbsp;वीरभद्र शायद आगामी &nbsp;विधानसभा चुनावों से पहले ही&nbsp; &nbsp;चुनावों की&nbsp; राजनीति &nbsp;को अलविदा कह देते लेकिन परिस्थितियाँ कुछ ऐसी बन गयी हैं कि वे इस वक्त राजनीति से अलग नही हो सकते l उधर दूसरी ओर कांग्रेस का संगठन भी चाहता है कि चुनाव वीरभद्र सिंह के ही नेतृत्व में हो उसका कारण यह है कि कांग्रेस का केन्द्रीय नेतृत्व और प्रदेश नेतृत्व भी इस बात से अवगत है कि अगर कांग्रेस के कहीं चुनाव जीतने की कोई आशा&nbsp; बाकी है तो वह वीरभद्र सिंह ही है और यदि &nbsp;कांग्रेस चुनाव हार जाती है तो&nbsp; हार का सारा ठीकरा वीरभद्र पर फोड़ा जा सकता है l&nbsp; </span></span></p>

<p style=”text-align:justify”><span style=”font-size:10pt”><span style=”font-family:&quot;Mangal&quot;,&quot;serif&quot;”>मंडी के कद्दावर कांग्रेसी नेता&nbsp; ठाकुर कौलसिंह की राजनीति तो केवल पद्दर विधान सभाक्षेत्र तक ही महदूद है l यह उनकी त्रासदी रही है कि वे खुद को पद्दर से बाहिर निकाल ही नही पाए l &nbsp;उनकी राजनीति को&nbsp; &nbsp;कांग्रेस संगठन के ही कुछ लोग यदाकदा झटका देते रहते हैं l कौलसिंह&nbsp; को इस अवधि में सबसे बड़ा झटका &quot;सी डी&nbsp; कांड &quot; से लगा l &nbsp;वैसे इन दोनों नेताओं- वीरभद्र और कौल सिंह ने अपनी राजनैतिक विरासत अपने परिवार को सौपने के लिए पूरी तरह से जमीन तैयार कर ली है l वैसे हिमाचल के शांतिप्रिय मतदाताओं को भावनात्मक स्तर पर आकर्षित करना अब उतना&nbsp; आसान नही रहा है l सोशल मीडिया ने नए मतदाताओं को इतना अधिक जागरूक बना दिया है&nbsp; कि कुछ ही पलों&nbsp; में&nbsp; किसी भी तरह की घटना प्रदेश में कहीं भी हो उस पर प्रतिक्रिया एकदम कहीं से भी आ सकती है l इन उम्रदराज़ नेताओं का हिमाचल के सर्वांगीण विकास में योगदान आंक कर इन्हें सम्मानपूर्वक राजनीति से विदाई देने में ही&nbsp; प्रदेश की भलाई है l </span></span></p>

<p style=”text-align:justify”>(लेखक &#39;विवेक अविनाशी&#39; एक वरिष्ठ स्तंभकार हैं। हिमाचल की राजनीति पर इनकी कलम काफी अर्से से चलती रही है। )</p>

<p style=”text-align:justify”>&nbsp;</p>

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