<p>हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार के अंतिम छोर पर हैं और माना जा रहा है की जिस तरह से बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने राजनीतिक माहौल को गरमाया था,अब उसकी तपिश महसूस होने लगी है। कांग्रेस एक बार फिर बीजेपी अध्यक्ष के बयान को लेकर माहौल गर्माने की फिराक में है लेकिन इन सबके बीच में प्रदेश में एक बार फिर 2012 विधानसभा चुनावों की याद आने लगी है।</p>
<p>2012 में प्रदेश में बीजेपी के 2 गुटों में टकराव इस कदर था की 2017 के नतीजों के बाद शांता कुमार के बयान में भी उसकी कड़वाहट दिखी थी। जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद के लिए जीते हुए प्रत्याशी में से ही किसी को मुख्यमंत्री बानाने की पैरवी की थी ना की हारे हुए को।</p>
<p>2012 की बात करें तो उस समय भी एक नारा बीजेपी के गुट में चला की इस बार माइनस कांगड़ा प्रदेश में सरकार बनानी है लेकिन जब नतीजे निकले तो बीजेपी धराशायी हुई और वो नारा ही बीजेपी की लुटिया डुबो गया। अब प्रदेश में फिर चुनाव हैं और इस बार माइनस धूमल बीजेपी चुनाव लड़ रही है।</p>
<p>बीजेपी में धूमल को ऐसे नेता के रूप में जाना जाता है जो बीजेपी को ऊपरी हिमाचल और निचले हिमाचल में संतुलन के साथ मजबूती देने के लिए जाने जाते हैं। लेकिन इस बार जो चुनावी माहौल बना हुआ हैय़ उसमें धूमल विरोधी सारी ताक़तें प्रदेश में साथ खड़ी हैं और कहीं न कहीं माइनस धूमल एक नारा अंदर खाते चला हुआ है और उसी का नतीजा है कि सभी नेता पूरे प्रदेश में सक्रिय हैं। लेकिन, धूमल सिर्फ बड़े राजनेताओं की रैलियों में ही हमीरपुर लोकसभा से बाहर जा रहें हैं और वैसे हमीरपुर लोकसभा में ही डटे हुए हैं हालांकि वो स्पष्ट कर चुके हैं की जैसे अनुराग है वैसे ही बाकी के उम्दवार उनके लिए है और पार्टी जहां कहेगी वहीं प्रचार करूंगा।</p>
<p>लेकिन, इन सबके बीच माइनस धूमल एक नारा अंदर खाते बीजेपी मैं चल रहा है नतीजे क्या होने ये तो 23 तारिख को ही पता चलेगा लेकिन इतना तय है कि जिस तरह से प्रदेश बीजेपी में राजनीतिक माहौल बदला हुआ है। नतीजों के बाद नई राजनीति का आगाज बीजेपी में होना तय है।</p>
<p>माइनस धूमल नारा जरूरी किस लिए है ये भी आप जान लें , धूमल चुनाव हार चुके हैं, अनुराग ठाकुर राजपूत नेता हैं और केंद्र में खुद को स्थापित कर चुके हैं। प्रदेश में भी एक वर्ग पर बड़ा प्रभाव रखते हैं और बेशक आज वो वर्ग सरकार के दबाव में जयराम के साथ खड़ा है। अनुराग का बढ़ता कद राजनीतिक रूप से प्रदेश के बहुत से नेताओं की परेशानी का कारण है और यही कारण माइनस धूमल नारे का है। लेकिन, धूमल फैक्टर को ऐसे नकार देना कहीं जयराम को महंगा न पड़ जाए। क्योंकि अगर कांग्रेस से तुलना करें तो आज भी वीरभद्र सिंह ही उनके स्टार प्रचारक है और कांग्रेस उनके राजनीतिक बजूद को नकार नहीं पाई है और बीजेपी का कोई भी नेता खुद को धूमल के कद के बराबर आज भी खड़ा नहीं देख पाता है।</p>
NDA Victory in Maharashtra: भारतीय जनता पार्टी की जिला उपाध्यक्ष उषा बिरला ने महाराष्ट्र में…
Shimla Prison Fight: शिमला के कैथू जेल में शनिवार को दो कैदियों के बीच कंबल…
Free health camp Sujanpur: प्रयास संस्था के माध्यम से पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद अनुराग…
Blog: Shivanshu Shukla Kangra Airport flight disruptions: देश विदेश के सैलानियों के लिए आकर्षण और…
DigiLocker issues for disabled: मंडी के बाबा भूतनाथ मंदिर परिसर में शनिवार को हिमालयन दिव्यांग…
Himachal Technical University convocation: हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय, हमीरपुर का पांचवां दीक्षांत समारोह राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी…