2019 का लोकसभा चुनाव में देश की जनता अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस कर रही है। क्योंकि भारत देश मुद्दाविहीन चुनाव झेल रहा है। देश के सबसे बड़े समर में किसी भी राजनीतिक दल के पास देश को सही दिशा में ले जाने का ख़ाका नही है। जो देश की प्रगति का मापक तय कर सके। देश के किसी दल के पास कोई विदेश नीति, वित्त नीति, रक्षा नीति नही है। तभी तो सत्ताधारी दल इस पर बोलने को तैयार नहीं है, विपक्ष भी इस पर मौन है।
एक तरफ सत्ता का पांच साल तक सुख भोगने वाली भाजपा सेना, मंदिर, हिन्दू-मुस्लिम, कांग्रेस पर हमले और राष्ट्रवाद पर चुनाव लड़ रही है। तो दूसरी तरफ देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस राफेल, चौकीदार चोर है और हिन्दू होने के प्रमाण तक ही सीमित होकर रह गई है। इस हल्ले के बीच क्या किसी दल या नेता को राष्ट्र की प्रगति , महंगाई, व्यापार, दिन प्रतिदिन बढ़ती बेरोजगारी, देश की आंतरिक सुरक्षा, देश की आर्थिक स्थिति और आतंकवाद जैसी समस्याएं नही दिख रहे है?
हिमाचल में भी कुछ इसी तरह की स्थिति है। प्रदेश के विकास व काम की कंही चर्चा नही। भाजपा पीएम मोदी के नाम पर अपनी नैया पार लगाना चाहती है। हालांकि पिछले पांच वर्ष तक हिमाचल से चारों सांसद भाजपा के थे। इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्री भी यहां से बने। बाबजुद इसके भाजपा काम पर नही मोदी के नाम की वोट मांग रही है।
उधर कांग्रेस अभी भी अपने कुनबे को समेटने में लगी हुई है। सरकार पर हमले तो दूर विपक्ष की भूमिका भी अदा नही कर पा रही है। बाकी कांग्रेस पर अच्छे प्रबंधन की कमी के आरोप तो लगते ही रहे है। कांग्रेस के नेता भी असल मुद्दों पर घेरने के बजाए या तो मोदी पर हमले कर रहे है या फ़िर इधर उधर की बाते हाँककर टाइम पास कर रहे है। हाँ केंद्रीय मंत्री रहे आनंद शर्मा जरुर आंकड़ों पर बात करते है लेकिन उनकी बातों को हिमाचल में गंभीरता से लेने वाले बहुत कम लोग है।