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जीत नहीं ‘प्रतिष्ठा’ का सवाल बना मंडी विधानसभा क्षेत्र…

ललित खजूरिया |

चुनाव में हर पार्टी के लिए हर सीट अहम होती है। लेकिन कुछ सीटें ऐसी भी होती हैं , जो पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन जाती हैं। ऐसी ही एक खास सीट है जिस पर जनता के साथ -साथ पार्टी हाईकमान की भी नजर रहेगी। हिमाचल चुनाव में मंडी सीट ऐसी है जो इस चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा का केंद्र बनी हुई है। इस सीट पर कांग्रेस के पूर्व नेता और मंत्रीमंडल में मंत्री रहे अनिल शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं।

अनिल शर्मा वरिष्ठ नेता सुखराम के पुत्र हैं,  जिन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह बीजेपी का दामन थाम लिया है। टिकट पर सहमती नहीं बनने पर सुखराम अपने पुत्र अनिल शर्मा और पौत्र आश्रय शर्मा के साथ बीजेपी में शामिल हो गए। अनिल शर्मा बीजेपी की तरफ से मंडी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं कांग्रेस अभी तक इस सीट पर अपना कैंडिडेट तय नहीं कर पाई है। कांग्रेस अनिल शर्मा को शिकस्त देने के लिए ऐसे उम्मीदवार की तलाश कर रही है जो कांग्रेस को जीत ही नहीं ,बल्कि उसकी प्रतिष्ठा को बरकरार रखे। जीत के साथ ये भी साबित करे कि नेता कभी भी पार्टी से बड़ा नहीं हो सकता।

सूत्रों की माने तो कांग्रेस को अभी तक इस क्षेत्र से कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं मिल रहा, जो अनिल शर्मा को टक्कर दे सके। यही वजह है कि जहां कांग्रेस ने 59 उम्मीदवारों की टिकटों का ऐलान कर दिया है तो वहीं 9 टिकटों पर  माथापच्ची जारी है। जिसमें मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य, ठाकुर कौल सिंह की बेटी चंपा ठाकुर का भी नाम है। अनिल शर्मा के कांग्रेस छोड़ने के बाद कौल सिंह ठाकुर खुद को मजबूत और कांग्रेस हाईकमान के नजदीक महसूस कर रहे हैं । सूत्रों की माने तो कौल सिंह ठाकुर अपनी बेटी चंपा ठाकुर को मंडी से टिकट दिलवाना चाहते हैं। इसके लिए कौल सिंह ठाकुर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के साथ कंधे से कंधा मिलाते दिखाई दे रहे हैं।

2012 में  मंडी सीट से कांग्रेस के अनिल शर्मा ने जीत हासिल की थी। अब मंडी सीट पर सबकी निगाहें है कि, कांग्रेस किसे यहां से चुनाव लड़ाती है और साथ ही क्या अनिल शर्मा बीजेपी में जाकर इस सीट को सुरक्षित रख पाएंगे ,क्योंकि ये सीट अब अनिल शर्मा और कांग्रेस के बीच प्रतिष्ठा का दांव बन चुकी है