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मैं नगरोटा हूं, जी हां मैं ही नगरोटा हूं…

अब जबकि चुनावी दंगल में मेरा भविष्य दांव पर लगा है. तो मुझे भी अपनी आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति का अधिकार है.

डेस्क |

अब जबकि चुनावी दंगल में मेरा भविष्य दांव पर लगा है. तो मुझे भी अपनी आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति का अधिकार है. मैं, नगरोटा, अपने जनमानस की पहचान हूं, उनके गर्व का प्रतीक हूं, यहां पनपने वाली संस्कृति की जननी हूं, सब समुदायों का संरक्षक हूं और मेरे संसाधनों पर मेरे जनमानस का सर्वोपरि अधिकार है. फिर मैं अपनी बात क्यों ना कहूं कि मेरी क्या अपेक्षाएं हैं. जिनकी जवाबदेही चुनावी प्रत्याशियों को देनी होगी.

ये कड़ीवार आकांक्षा पत्र प्रत्याशियों की योग्यता की कसौटी है जिस पर नगरोटा का जनमानस कर्तव्य निर्वाह करते हुए विचार मंथन के बाद अपना फैसला करें.

नगरोटा में OBC भवन से अब आगे क्या?

इसका महत्व अब नहीं कि इसे बनाने में जीएस बाली ने मुख्य भूमिका निभाई थी लेकिन अब यहां से आगे क्या? क्या ये सभागार बाहर लगे मूल्य तालिका के अनुसार धन अर्जित करने तक ही सीमित है? पिछले 5 वर्षों में तो OBC भवन पहचान के प्रतीक के रूप से आगे कुछ हुआ हो, इसका प्रमाण तलाशना कठिन है. अब जितना धन मूल्य तालिका से अर्जित होगा वो तो इसके रखरखाव के लिए भी पर्याप्त हो तो धन्य है.

लेकिन क्या इस भवन की भूमिका कोई ऐसे कार्यक्रम चला कर हो सकती है जिससे सारे समाज का और विशेष कर OBC तबके को लाभ मिल सके? कोई Skill Training के सरकारी मान्यता प्राप्त कार्यक्रम, कंप्यूटर ट्रेनिंग, संगीत में रुचि रखने वालों को शिक्षा, पहाड़ी धाम, जो नगरोटा के बहुचर्चित विशेषता है, उसके खान पान की कक्षाएं, पुस्तकालय का गठन, कोई वैचारिक गोष्ठियां जिसमें लोगों को बुद्धिजीवी स्तर पर जीवित रखा जाए, वगैरह वगैरह.

अब सवाल उठता है कि क्या जनप्रतिनिधियों या भावी जनप्रतिनिधियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए या समाज को संगठित करने का उद्देश्य केवल चुनावी दंगल तक ही सीमित है? या फिर ये बातें व्यर्थ के कार्य हैं. और नहीं तो क्या राजनेताओं को इनका अभ्यास या इनसे जुड़े कार्यों में रुचि नहीं होनी चाहिए?

ऊपर लिखे कई कार्यक्रम सरकार चलाती है जैसे कि कौशल विकास निगम के कार्यक्रम. क्या यहां कोई कौशल विकास का Center Of Excellence नहीं बन सकता था जिसे जनप्रतिनिधि खींच के मेरी, यानि नगरोटा की झोली में डाल दें? कोई भाषा संस्कृति विभाग के सौजन्य से कोई प्रतियोगिता आयोजित हो जाए? क्या कोई नशा मुक्ति का सरकारी अधिकृत कार्यक्रम हो जाए? क्या बच्चों के भविष्य से संबंधित परामर्श सत्र हो जाए जहां बैंक या Start up की जानकारी दी जाए जिससे रोजगार के अवसर पनपें?

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इतना महत्वपूर्ण नारा दिया Vocal For Local जिसमें नगरोटा के क्षेत्रीय विकास के अनंत अवसर छिपे हुए हैं, लेकिन कहां गया वो सब? ये Vocal For Local की बात जान हितैषी है और इसे राजनीतिक स्तर से ऊपर रख कर देखना होगा लेकिन अब इसकी कोई जवाबदेही तो बनती है. क्या Adult Education या वरिष्ठ नागरिकों से जुड़े विषय या उनको सामाजिक कार्यों में जोड़ना राजनेता का काम नहीं? इन सब विषयों का संबंध स्थानीय या हिमाचल तक सीमित नहीं है बल्कि अपने देश से है तो हमें देशहित तक सोचना होगा. नि:संदेह इन कार्यों का OBC भवन की पृष्ठभूमि में महत्व है.

अब नगरोटावासियों को तय करना है कि कौन सा भावी प्रत्याशी है जो ऐसी भविष्यवादी सोच रखता है? कौन है जो वैचारिक स्तर पर राष्ट्रीय गतिविधियों से अवगत है. कौन है जो अनावृति या Exposur से परिपूर्ण है और इसका प्रमाण यथार्थ वास्तविक होना चाहिए.

Note : ऊपर लिखे गए शब्द लेखक के निजी विचार हैं.