( शशिकांत कुमार )
आज यदि ये कहा जाए कि विकास कि दृष्टि में नगरोटा विधान सभा क्षेत्र हिमाचल के सबसे अधिक प्रगतिशील है तो संदेह केवल उन लोगों को हो सकता है जो या तो हिमाचल से परिचित नहीं हैं या फिर हिमाचल में पर्यटक की भूमिका से सम्बंधित हैं। और ये किसी भी विवाद का विषय नहीं है कि नगरोटा के सर्व्यापक विकास का श्रेय यदि किसी एक व्यक्ति को जाता है तो वो केवल और केवल जीएस बाली को ही जाता है। हाँ, इसमें कांग्रेस की सरकार की भूमिका थी लेकिन क्या ये विकास की गति कभी भाजपा सरकारों में रुकी ? क्या जीएस बाली के बल के आगे भाजपा शासनकाल में भी विकास का रोकना या रुकना संभव था? तो ऐसे में जीएस बाली को विकास का श्रेय देना नैतिक भी है और और तर्कसंगत भी।
इस सर्वांगीण प्रत्यक्ष विकास की पृष्ठभूमि में उनके पहले चुनाव के दौर में झांकना पड़ेगा जब मुद्दा ये ही होता था कि सड़क या बिजली नहीं हैऔर चुनाव प्रचार ‘गोहरों ‘ और पगडंडियों के कठिन परिश्रम का साक्षी था। दूसरे चुनाव तक या तो HRTC गांव गांव में दस्तक चुकी थी या देने की मांग पर आधारित थी। फिर तीसरे चुनाव में कोलतार वाली सड़कों के जाल पर दौड़ती ज़िन्दगी टांडा मेडिकल कालेज की स्वस्थ्य सेवाएं को अपने समीप पाने लगीं। उसके बाद कालेज, बस अड्डे, वगैरह वगैरह से ले कर तहसील तक का सफ़र जग जाहिर है।
ये सब याद करना इसलिए आवश्यक है क्यूंकि जो उस समय 5 साल के बच्चे थे, अब वो युवा वयस्क हैं और शायद इस विकास की यात्रा से संभवतः अपरिचित रहे हों । आज ये सब अपने हक़ के प्रति जागरूक तो हैं, और होना इनका उत्तरदायित्व है, लेकिन इस सब के पीछे के सूत्रधार की प्रतिबद्धता के साक्षी शायद न रहे हों।
इस यात्रा में जी एस बाली के प्रभावी कारगर सिद्ध होने में इस बात का महत्व रहा है उन्हों ने हमेशा से ही फ्रंट फुट पर बल्लेबाजी की और करने की क्षमता रखते थे। इसी प्रतिभा के चलते ज़रा याद करें जब वो मूलतः अपने बूते पर और कांग्रेस केंद्रीय नेतृत्व के विश्वास पर अपने पहले ही चुनाव में विजय होने के बाद मंत्री बने जब अन्य मंत्री हिमाचल कांग्रेस में भारी भरकम कद के थे। और, निःसंदेह इसी आक्रामक राजनितिक छवि और दम ख़म ने केवल नगरोटा को विकास की ऐसी राह पे डाल दिया जहाँ प्रमाण का आग्रह अज्ञानता है।
यहाँ से अब नगरोटा के विकास के नये अध्याय के शुभारंभ की बात कल 27 जुलाई को जीएस बाली के जन्मदिन के उपलक्ष्य में हुए कार्य क्रमों से करते हैं। क्या इन कार्यक्रमों के बाद अभी भी की संदेह हैं कि आरएस बाली के फ्रंट फुट बल्लेबाज का बल्लेबाज हैं ? क्या अभी भी कोई संदेह हैं कि कांग्रेस केंद्रीय संगठन को आरएस बाली की प्रतिभा पर कितना विश्वास हैं? और इन क्रमों के चलते ये स्पष्ट है कि आरएस बाली के अपने पहले चुनाव के बाद ही कांग्रेस सरकार में मंत्री बनना तय होना अब स्वाभाविक है।
इसे यदि नगरोटा के विकास से इतिहास से जोड़ के देखें तो आफ नज़र आ रहा है कि आरएस बाली की एंट्री के बाद जो विकास की बरसात जीएस बाली ने लगायी थी अब वो आर एस बाली के द्वारा पुरयौवन सावन ही होगा। अब नगरोटा का जनमानस इतना तो नादान है नहीं कि विगत चुनावी गलती को दोहराये। मान के चलें कि 5 साल का विकास का अंतराल अब आरएस बाली की आक्रामक राजनितिक बल्लेबाज़ी से समाप्त होने की देहलीज पर है। शक केवल राजनितिक सोच से प्रभावित पक्षपात के कारण ही हो सकता है न कि आरएस बाली की प्रतिभा के प्रमाण पर।
( NOTE: उपरोक्त आर्टिकल लेखक शशिकांत कुमार के निजी विचार हैं. शशिकांत कुमार पेशे से लेक्चरार हैं , लेकिन हिमाचल की राजनीति में खास रुचि रखते रहे हैं और अपनी टिप्पणियां अक्सर करते रहे हैं. )