हिमाचल प्रदेश में उपचुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। सांसद रामस्वरूप के निधन के बाद मंडी, सुजान सिंह पठानियाँ के निधन के बाद फतेहपुर, नरेंद्र बरागटा के देहांत के बाद जुब्बल कोटखाई और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद अर्की विधानसभा क्षेत्रों पर उपचुनाव होना है। इन चुनावों के लिए रण सजने लगा है।
उम्मीदवारों की लंबी फ़ेहरिस्त तैयार है लेकिन दोनों ही दलों ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। हालांकि ये संकेत जरूर मिल रहे है कि दिवंगत नेताओं के परिवार में से मंडी, अर्की, जुब्बल कोटखाई व फतेहपुर से कांग्रेस व भाजपा दांव खेल सकती है।
संसदीय क्षेत्र मंडी से भाजपा उम्मीदवार के लिए माथापच्ची जारी है। कांग्रेस का भी यही हाल है कांग्रेस पार्टी पिछली बार चुनाव लड़ चुके आश्रय शर्मा पर दांव खेलेगी या फ़िर कोई नया चेहरा देगी। मंडी से सांसद रह चुकी प्रतिभा सिंह को भी मंडी से चुनाव लड़वाने की खबरें आ रही हैं। आश्रय व रानी प्रतिभा सिंह दोनों ही चेहरे ऐसे परिवार से आते है जो हिमाचल की राजनीति में दशकों से अपना वर्चस्व कायम किए हुए है। ऐसे में क्या मंडी में कांग्रेस परिवारवाद के चुंगल से बाहर निकल पाएगी?
कांगड़ा के फतेहपुर उपचुनाव में भी कांग्रेस की तरफ़ से सुजान सिंह के बेटे भवानी सिंह प्रबल दावेदार माने जा रहे है। सूचना तो यह है कि उन्होंने क्षेत्र में प्रचार-प्रसार भी शुरू कर दिया है। भाजपा के पास चेहरों की कमी नहीं है लेकिन फतेहपुर में भाजपा को उम्मीदवार ढूंढना टेड़ी खीर साबित हो रहा है।
जुब्बल कोटखाई विधानसभा क्षेत्र जहां राजनिति सरकारों के बदलने के साथ बदलती रहती है। यहां दोनों ही दलों से परिवारवाद हावी रहेगा क्योंकि भाजपा यहां से नरेंद्र बरागटा के पुत्र चेतन बरागटा पर दांव खेल सकती है। उधर कांग्रेस पार्टी से लगभग तय है कि पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर राम लाल के पौत्र रोहित ठाकुर को ही जुब्बल कोटखाई से टिकट मिलेगी।
अब सबसे हॉट सीट अर्की की बात कर लेते है जहां माना जाता है कि एक पत्थर उखाड़ो दस नेता निकलेंगे। 2017 के विधानसभा चुनावों में भी सबसे ज़्यादा उम्मीदवार यहां से ही चुनाव लड़े थे। दोनों ही दलों में उपचुनाव में भी टिकट के दावेदारों की लंबी फ़ेहरिस्त है। जिन्होंने अभी से अपने-अपने दावे भी ठोंक दिए हैं। अर्की में भाजपा में आपसी अंतर्कलह भी सामने आने लगी है।
उधर कांग्रेस ने यहां से अपने बहुत बड़े नेता को खोया है ऐसे में कांग्रेस पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री के नाम पर चुनावी मैदान पर उतरेगी। यदि प्रतिभा सिंह मंडी से चुनाव नहीं लड़ती है तो अर्की से उनको टिकट मिल सकती है।
ऐसे में परिवारवाद की बात करें तो दोनों ही दलों में उपचुनाव पर परिवार वाद हावी रह सकता है। परिवारवाद की इस सियासत में कांग्रेस का पलड़ा भारी नज़र आ रहा है।