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राजीव बिंदल, मतलब नफा नुकसान की राजनीतिक गणना शुरू

नवनीत बत्ता |

लंबी जद्दोजहद के बाद भाजपा में आखिर प्रदेशाध्यक्ष के नाम को लेकर सहमति तो जरूर बन गई। लेकिन अब 2022 की राजनीतिक गणना की शुरुआत हो चुकी है। राजीव बिंदल की ताजपोशी में इतना तो तय है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सूटेबिलिटी डॉ. राजीव बिंदल को लेकर कम थी और राकेश जम्वाल या रामस्वरूप शर्मा प्रदेश अध्यक्ष बनते तो अधिक थी। मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के आदेश अनुसार ही डॉ. राजीव बिंदल की नियुक्ति बतौर प्रदेशाध्यक्ष हुई है। जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की रजामंदी भी पूरी तरह शामिल रही। इस तरह से अब भाजपा में डॉ राजीव बिंदल का अध्यक्ष बनने का मतलब साफ है कि कुछ चेहरे जो पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के साथ सीधे जुड़े हुए थे, अपना पूरा राजनीतिक वजूद होने के बाद भी अचानक जयराम के मुख्यमंत्री बनने से हाशिए पर चले गए थे। कहीं ना कहीं उन चेहरों में भी एक बार फिर से राजनीति में वापसी की आशा भी जरूर जागी हुई है।

बताते चलें कि मंचों के माध्यम से ही पिछले कुछ समय से धूमल ग्रुप और जयराम ठाकुर के बीच में जुबानी जंग चल रही थी और माना यह जा रहा था अगर जयराम ठाकुर अपने कोटे से प्रदेश अध्यक्ष बनाने में सक्षम हो जाते हैं तो यह जंग और अधिक राजनीतिक नुकसान भाजपा को कर सकती थी। लेकिन डॉक्टर बिंदल के अध्यक्ष बनने के साथ ही एक तरफ जहां उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का साथ मिलना तय माना जा रहा है। वह इसके साथ उनके खुद के क्षमता सबको साथ लेकर चलने की भी उन्हें लाभ देती नज़र आ रही है। इसको लोग राजनीति से जुड़े लोग विशेष रूप से टिकट आबंटन के साथ भी जोड़ कर देखने लगे हैं कि जो परिस्थितियां त्रिलोक जमवाल या रामस्वरूप या राकेश जम्वाल  के अध्यक्ष बनने से पूरे प्रदेश में बनी थी उसमें तो वन साइड टिकट आबंटन होना तय था। लेकिन अब जब एक राजनीतिक बैलेंस बनाकर अध्यक्ष की नियुक्ति हुई है तो सभी को बराबरी का मौका मिलेगा, यह कहा जा सकता है।

यहां यह भी कहा जा सकता है कि जगत प्रकाश नड्डा हिमाचल प्रदेश में और अधिक सशक्त होते नजर आ रहे हैं। क्योंकि एक तरफ जहां प्रदेश अध्यक्ष की कमान राजीव बिंदल के हाथ आ चुकी है, वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार के रूप में त्रिलोक जमवाल की उपस्थिति भी मुख्यमंत्री कार्य में कार्यालय में लगातार बनी रहेगी। जो कहीं ना कहीं हिमाचल में नड़ड़ा के लिये तीसरी आंख का काम करेगी।