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बागियों को मनाने में दोनों राष्ट्रीय दल नाकाम, बिगाड़ सकते हैं खेल

विवेक अविनाशी |

हिमाचल प्रदेश की 13वीं विधान सभा के लिए आगामी चुनावों में दोनों राष्ट्रीय राजनैतिक दलों ,कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के लिए पार्टी  के बागी उम्मीदवार मुसीबत खड़ी कर सकते हैं। नामांकन पत्र भरने की अंतिम तारीख के बाद  जिस तरह दोनों पार्टियों के टिकट के दावेदार प्रत्याशियों ने निर्दलीय नामांकन-पत्र भरे हैं उनसे यह साफ संकेत मिलता है कि बागी उम्मीदवार पीछे हटने वाले नहीं। प्रदेश में निर्दलीयों सहित 476 उम्मीदवारों ने नामांकन -पत्र भरे हैं। इनमें से प्रदेश के सबसे बड़े ज़िला कांगड़ा  में 119 नामांकन पत्र भरे गए ।

 टिकट आवंटन पर रोष का हाई वोल्टेज ड्रामा  ठियोग और पालमपुर में हुआ। ठियोग में 89 वर्षीय कांग्रेस की कद्दावर नेता विद्या स्टोक्स ने  हाई कमांड द्वारा उनके  चहेते उम्मीदवार को टिकट ना देने पर रोषस्वरूप  अपना नामांकन भर दिया और वहां से कांग्रेस हाई कमांन को विद्या स्टोक्स की उम्मीदवारी पर मोहर लगानी पड़ी थी।

कांग्रेस पार्टी और भारतीय जनता पार्टी में टिकट न मिलने के कारण बगावत पर उतरे प्रत्याशियों ने निर्दलीय नामांकन पत्र भर कर यह सिद्द कर दिया है कि दोनों ही पार्टियों में बगावत पर पूरी तरह से नियंत्रण नही हो पाया है । मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने एक बयान दे कर  बागी प्रत्याशियों को पार्टी  की ओर से कड़ी अनुशासनात्मक कार्यवाही की चेतावनी दी है वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता बागियों को शांत करने के लिए अपनी  रणनीति पर विचार मंथन कर रहे हैं ।

बीजेपी पार्टी के प्रमुख नेता भूत पूर्व मुख्यमंत्री प्रेमकुमार धूमल ने तो इस मुसीबत को टालने के लिए  एक सम्बोधन में पार्टी कार्यकर्ताओं और वोटरों को नसियत दी कि वे पार्टी उम्मीदवार की ओर  ध्यान न दे कर केवल कमल के निशान पर ही ध्यान केंद्रित करें और पार्टी को विजयी बनाएं। भारतीय जनता पार्टी में इस कार्य के लिए केन्द्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत, जे.पी. नड्डा, प्रेम कुमार धूमल, प्रदेश प्रभारी मंगल पाण्डेय, अनुराग ठाकुर आदि ज़ी-तोड़ कोशिश कर रहे हैं ।

नामांकन पत्र भरने की आखिरी तारीख समाप्त हो गयी है और 26 अक्तूबर तक नाम वापिस लिए जा सकते हैं ।  चुनाव के इस महा-संग्राम में कितने बागी हिस्सा लेंगे यह तो 26 अक्तूबर के बाद ही पता लगेगा लेकिन  कुछ विधान सभा क्षेत्रों में   दोनों पार्टियों के बागी उम्मीदवारों का चुनाव लड़ना निश्चित लगता है।  प्रदेश की मनाली विधान सभाक्षेत्र में  भुवनेश्वर गौड़ और धर्मवीर धामी  कांग्रेस पार्टी की टिकट के इच्छुक थे लेकिन इन दोनों को टिकट की दौड़ से बाहर करके राजीव गांधी  पंचायती राज संगठन के प्रदेश संयोजक हरि चंद शर्मा को कांग्रेस का प्रत्याशी घोषित किया गया है।

इसके विरोध में धर्मवीरधामी ने  निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में  नामांकन -पत्र भरा है। यदि धामी चुनाव लड़ते हैं तो इसका सीधा लाभ  भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार गोविंद ठाकुर को होगा। शिमला जिला के रामपुर विधान सभा क्षेत्र से भी कांग्रेस पार्टी के निष्ठावान नेता और कभी वीरभद्र सिंह के खासमखास रहे सिंघी राम ने भी टिकट न मिलने पर निर्दलीय  उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र भरा है। यदि सिंघीराम ने चुनाव लड़ा तो रामपुर विधान सभा क्षेत्र में भी राजनैतिक समीकरण बदल सकते हैं।

उधर दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी भी पूरी तरह बगावत रोकने में असफल रही है। नड्डा के गृह-जिला बिलासपुर में यद्दपि बगावत पर अंकुश लग गया है लेकिन शिमला, कांगड़ा और चंबा में  पार्टी अभी तक बगावत को पूरी तरह रोक नही पायी है। जिला शिमला की कुसुम्पटी विधान सभा क्षेत्र से  भारतीय जनता पार्टी का टिकट न मिलने के रोष में  वीरभद्र सिंह  की पत्नी के भाई पृथ्वी विक्रम सेन ने  पार्टी द्वारा अनदेखी के फलस्वरूप  निर्दलीय के रूप नामांकन पत्र भरा है। चंबा में भी स्थिति कुछ ऐसी  ही है। 

वर्तमान विधायक वी.के. चौहान ने निर्दलीय  उम्मीदवार के रूप नामांकन भरा है। जिला कांगड़ा के पालमपुर में बीजेपी टिकट के प्रबल दावेदार प्रवीण शर्मा को टिकट ना मिलने पर उन्होंने भी  निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में  चुनाव लड़ने का  निर्णय लिया है। दोनों राष्ट्रीय दलों में बगावत का यह सिलसिला घातक सिद्द हो सकता है। आगामी दो दिनों में यदि  इन बागी उम्मीदवारों को मनाया नहीं गया तो कांग्रेस और बीजेपी  दोनों  के लिए मुसीबत हो सकती है।

(ऊपरोक्त विचार वरिष्ठ स्तंभकार विवेक अविनाशी के हैं। विवेक अविनाशी काफी लंबे अर्से से हिमाचल की राजनीति पर टिप्पणी लिखते रहे हैं और देश के नामचीन पत्र-पत्रिकाओं में इनके विचार पब्लिश होते रहे हैं।)