भले ही बाहर ही से सही कुछ नेता अपनी जीत को लेकर अति आत्मविश्वास से भरे हुए है। लेकिन जीत की राह इतनी आसान नही है। हिमाचल प्रदेश में पहली मर्तबा ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अधिकतर सीटों पर मुक़ाबला कड़ा है। इस बार कई सीटों पर जीत का मार्जन बहुत कम आंक कर देखा जा रहा है। छोटे नेता तो दूर बड़े दिग्गजों के भी प्रचार में पसीने छूटे है और वहां भी जीत का अंतर कम होने का अंदेशा जताया जा रहा है।
दर्जन भर सीटों को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर सीटों में कोई भी यह कहने की स्थिति में नही है कि कौन जीत रहा है। कांग्रेस विचारधारा के लोग कांग्रेस की सरकार बना रहे है, बीजेपी से जुड़े लोग बीजेपी के बहुमत का दावा कर रहे हैं। लेकिन जब हर सीट पर आंकलन किया जाता है तो बात यहीं पर आकर ठहर जाती है कि मुक़ाबला कड़ा है।
मतदाता खामोश है उससे जब पूछा जाता है की किसको वोट दिया तो जबाब मिलता है 18 दिसंबर को पता चल जाएगा। फेक सर्वे की मीडिया में भरमार है कोई बीजेपी के पक्ष में सर्वे दिखा रहा है कोई कांग्रेस के पक्ष में हवा चला रहा है। लेकिन सच्चाई ईवीएम में बंद है।
अभी जनता का फैसला तो नहीं आया है लेकिन लोंबिंग की राजनीति शुरू हो गई है। नेता से लेकर अफ़सर तक सब अभी से लॉबिंग करने में जुट गए है। कुछ चमचे भी अपनी गोटियां फिट करते नज़र आ रहे हैं और यहां तक कहते सुने जा रहे है कि सरकार बनने के बाद सब देख लेंगे। भई ये लोकतंत्र है इसमें सबको अपनी बात रखने का अधिकार है।