पहाड़ी प्रदेश हिमाचल को डॉ. यशवंत सिंह परमार के रूप में पहला मुख्यमंत्री देने वाला जिला वैसे तो कांग्रेस का गढ़ माना जाता था लेकिन, पिछले चुनावों में बीजेपी ने कांग्रेस के गढ़ में सेंधमारी कर पांच में से तीन सीटें झटक ली। जबकि कांग्रेस एक सीट पर ही सिमट गई थी। इन चुनावों में सिरमौर से जहां बीजेपी को अपनी साख बरकरार रखने के लिए पसीना बहाना पड़ेगा तो वहीं कांग्रेस के सामने अपनी नाक बचाने की चुनौती है।
दोनों ही मुख्य दलों ने सिरमौर की पांचों सीटों से अपने-अपने महारथी उतार दिए है। पच्छाद से बीजेपी ने सिटींग एमएलए सुरेश कुमार कश्यप पर फिर से भरोसा जताया है उधर, कांग्रेस ने भी इस सीट पर अपने पुराने धुरंधर गंगू राम मुसाफ़िर पर दांव खेला है। लेकिन पिछली मर्तबा भाजपा कर सुरेश कश्यप ने जिस तरह लगातार जीतते रहे कांग्रेस के गंगू राम मुसाफ़िर को धूल चटाई थी इस बार भी पच्छाद से कांटे की टक्कर नज़र आ रही है। नाहन से भाजपा ने अपने तेज तर्रार नेता राजीव बिन्दल को फिर से चुनावी मैदान में खड़ा कर कांग्रेस के उम्मीदवार अजय सोलंकी के लिए चुनौती दी है।
नाहन में यदि क्षेत्रवाद हावी न हुआ तो अभी तक राजीव बिन्दल का पलड़ा भारी माना जा रहा है लेकिन अजय सोलंकी को कम आंक कर नही देखा जा सकता और वह राजीव बिन्दल को कड़ी चुनौती दे सकते है। श्री रेणुकाजी से कांग्रेस के सीपीएस रहे विनय कुमार और बीजेपी के बलबीर चौहान के बीच कड़ा मुकबला देखने को मिल सकता है। पांवटा साहिब से भाजपा के सुखराम चौधरी एवम कांग्रेस के करनेश जंग के बीच जंग हो रही है। जबकि शिलाई से बीजेपीव के बलदेव सिंह तोमर को टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने अपने पुराने उम्मीदवार हर्षवर्धन चौहान को चुनावी लड़ाई में उतारा है। इसके अलावा अन्य भी सिरमौर से बीजेपी और कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकते हैं।
सिरमौर जिला में विधानसभा की पांच सीटें है। जहां से तीन सीट अनारक्षित और दो विधानसभा सीट आरक्षित हैं। नाहन सीट पर बीजेपी के राजीव बिन्दल है, शिलाई से बीजेपी के बलदेव तोमर, पच्छाद से भाजपा के सुरेश कुमार , श्री रेणुकाजी से सीपीएस विनय कुमार कांग्रेस से जीतकर आए है। जबकि पाबंटा साहिब से निर्दलीय करनेश जंग चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे है। यशवंत सिंह परमार चौधरी को करनेश जंग ने हराया था जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार ओंकार सिंह की यहां से जमानत जब्त हो गई थी।
सिरमौर के पच्छाद से लगातार जीतते रहे और विधामसभा अध्यक्ष रहे गंगू राम मुसाफ़िर भी पिछली मर्तबा बीजेपी से चुनाव हार गए। ऐसा ही हाल शिलाई विधानसभा क्षेत्र का रहा जहां से लगातार तीन बार कांग्रेस के विधायक रहे हर्षवर्धन चौहान को भी मतदाताओं ने घर बिठा दिया। रही सही कसर नाहन में डॉ. राजीव बिन्दल ने निकाल दी जिन्होंने सोलन विधानसभा क्षेत्र के आरक्षित होने के बाद नाहन का रुख किया और कांग्रेस के प्रत्याशी को दस हज़ार वोटों से शिकस्त दी। सीपीएस विनय कुमार ने श्री रेणुका जी की एकमात्र सीट जीतकर कांग्रेस की नाक बचाई।