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खाकी क्यों हुई दागदार, क्यों अंदर हुए पहरेदार?

पी. चंद |

हिमाचल प्रदेश की पुलिस ईमानदारी, कर्तव्य निष्ठा और निर्भय पुलिस की श्रेणी में गिनी जाती है। अन्य राज्यों के मुकाबले हिमाचल पुलिस काफी नम्र सादगी भरी और सहायता करने वाली मानी जाती है। लेकिन कोटखाई गुड़िया प्रकरण पुलिस की छवि पर वह धब्बा है जो हिमाचल पुलिस के इतिहास में हमेशा याद रखा जायेगा।

इस मामले ने पुलिस की छवि को मटियामेट कर डाला।  पुलिस की छवि को अर्श से फर्श पर लाकर खड़ा कर दिया। प्रदेश के लोगों का विश्वास पुलिस ने खोया, पुलिस के प्रति लोगो में रोष पनपा, लोगों का गुस्सा यहां तक पहुंचा की कोटखाई थाने तक को आग हवाले कर दिया गया। ये शायद लोगों की पुलिस के प्रति नफरत एवम अविश्वास की पराकाष्ठा थी। होती भी क्यों नही? जिस तरह पुलिस की भूमिका मामले में रही सवाल उठना लाज़मी थे। अब सब कुछ सामने भी निकल रहा है।

कोटखाई गुड़िया मामले में पुलिस की भूमिका ने लोगों में अविश्वास बढ़ाया जो कि अब भी बढ़ता ही जा रहा है। अब सीबीआई ने आईजी डीएसपी सहित 8 पुलिस कर्मियों के खिलाफ चालान पेश कर दिया है। एसपी शिमला भी हिरासत में है। ऐसे में पुलिस को अब लोगों के अंदर विश्वास पैदा करने के लिए कर्तव्य निष्ठा की कसौटी में फिर से तपकर निखर के आना होगा।

कहते है कि इज्जत कमाने में उम्र बीत जाती है लेकिन गंवाने में एक पल नहीं लगता। अब पुलिस को अपनी छवि सुधारने के लिए जरूरत से ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी। ऐसा न हो कि आने वाले समय में भी ये सुनना पड़े की " लम्हों ने खता की, सदियों ने सज़ा पाई". लेकिन राजनीति और पुलिस जब तक अपराध से लड़ने के लिए सजग नहीं होती है तो भला जनता को इंसाफ कैसे मिलेगा?