<p>हिमाचल आर्थिक संकट से जूझ रहा है वहीं, अब 15वें वित्तायोग से उम्मीदें लगा रहा है। छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल को 14वें वित्तायोग से उम्मीद से बढ़कर मदद मिली थी। हिमाचल को 14वें वित्तायोग की सिफारिशों के कारण काफी लाभ हुआ था।</p>
<p>चौदहवें वित्तायोग ने राज्य को केंद्रीय करों से मिलने वाले हिस्से को 32 फीसदी से बढ़ाकर 42 फीसदी किया था। इसके अलावा आयोग ने हिमाचल प्रदेश को 40,625 करोड़ रुपये राजस्व घाटा ग्रांट के तौर पर दिए जाने की सिफारिश की थी। उदार वित्तीय सिफारिशों के कारण ही हिमाचल प्रदेश को 14वें वित्तायोग के कारण भारी-भरकम रकम मिली।</p>
<p>हिमाचल में पंचायती राज संस्थाओं को 18 सौ करोड़ रुपये, स्थानीय निकायों को 16 सौ करोड़ और आपदा प्रबंधन कोष के लिए 11 सौ करोड की रकम दिए जाने की सिफारिश हुई थी। मौजूदा वित्तायोग की सिफारिशों का समय 2020 तक है। अब अगले वित्तायोग की सिफारिशों की प्रक्रिया शुरू हो रही है।</p>
<p>15 वित्तायोग से हिमाचल प्रदेश को राजस्व घाटा अनुदान में बढ़ने की आशा है। 25 सितंबर से वित्तायोग की प्रदेश के दौरे पर आ रही है। वहीं जयराम सरकार इसी महीने 26 तारीख को 15वें वित्तायोग के समक्ष अपना आर्थिक पक्ष रखेगी। सरकार ने आयोग को प्रदेश की अर्थव्यवस्था और आगामी 5 सालों में होने वाले खर्चों में बढ़ोतरी का हिसाब लगा कर दस्तावेज सौंप दिए हैं।</p>
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