36 हज़ार बेसहारा गौवंश के लिए मात्र 3 अभयारण्य

<p>हिमाचल प्रदेश के 35 हजार बेसहारा&nbsp;गौवंश&nbsp;के लिए सिर्फ तीन ही&nbsp;अभयारण्य&nbsp;हैं।&nbsp;ये तीन&nbsp;अभयारण्य&nbsp;जिला सिरमौर के कोटला&nbsp;बड़ोग, जिला उन के&nbsp;थानाकलां&nbsp;खाश&nbsp;और जिला&nbsp;सोलन&nbsp;के&nbsp;कुण्डी&nbsp;में बनाये गए हैं।&nbsp;इन&nbsp;तीनों&nbsp;अभयारण्यों में कुल 867&nbsp;गौवंश&nbsp;को आश्रय दिया जा रहा&nbsp;है।<br />
कोटला&nbsp;बड़ोग&nbsp;अभयारण्य&nbsp;में 207&nbsp;गौवंश&nbsp;को रखा गया&nbsp;है&nbsp;और इसके निर्माण में 1, 67,31,950 &nbsp;रूपए&nbsp;का ख़र्च आया&nbsp;है।&nbsp;ऊना&nbsp;में 2, 03,82, 317 रुपए खर्च पर 250&nbsp;गौवंश&nbsp;को रखा गया&nbsp;है। जबकि&nbsp;सोलन&nbsp;में 2,97,18,900 रुपए का गौ&nbsp;अभयारण्य&nbsp;बनाया गया&nbsp;है&nbsp;जिसमें 410&nbsp;गौवंश&nbsp;रखा गया&nbsp;है। यह जानकारी पशुपालन मंत्री वीरेंद्र&nbsp;कंवर&nbsp;ने सदन में रमेश&nbsp;धवाला&nbsp;व पवन&nbsp;काज़ल&nbsp;द्वारा&nbsp;पूछे&nbsp;गए सवाल पर दी।<br />
धवाला&nbsp;ने पूछा कि&nbsp;कांगड़ा&nbsp;में गौ&nbsp;अभयारण्य&nbsp;की क्या स्थिति&nbsp;है&nbsp;और सिर्फ गौ ही पैदा हो इसके लिए विभाग क्या कर रहा&nbsp;है। जो लोग&nbsp;गौवंश&nbsp;को&nbsp;सड़कों&nbsp;में छोड़ रहे&nbsp;है&nbsp;उनके&nbsp;खिलाफ&nbsp;क्या सख़्त कार्यवाही की जा रही&nbsp;है।<br />
वीरेन्द्र&nbsp;कंवर&nbsp;ने बताया कि 146 निज़ी गौ सदन बढ़कर 198&nbsp;गौसदन&nbsp;हो गए&nbsp;है। इन गौसदनों&nbsp;मे&nbsp;गौवंश&nbsp;की संख्या 7,500 से बढ़कर 17,460 हो गई&nbsp;है।&nbsp;कांगड़ा&nbsp;के खहब्बल में तीन करोड़ की&nbsp;लगत&nbsp;से गौ&nbsp;अभयारण्य&nbsp;बनाया जा रहा&nbsp;है।<br />
सिर्फ़ बछड़ी ही पैदा हो इस पर पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया&nbsp;है&nbsp;जो महंगा&nbsp;है। इसलिए केंद्र से&nbsp;सालों&nbsp;के लिए अनुदान ओर&nbsp;सीमेन&nbsp;प्रोजेक्ट के लिए आग्रह किया गया&nbsp;है। पशुओं की&nbsp;टैगिंग&nbsp;की जा रही&nbsp;है। उसके पशु धन छोड़ने पर 500 के&nbsp;बजाय&nbsp;5,000 का जुर्माना व एडीएम या तहसीलदार को सजा की शक्तियां देने पर क़ानून बना रहे हैं।<br />
इसी बीच विपक्ष के नेता&nbsp;मुकेश&nbsp;अग्निहोत्री ने चुटकी लेते हुए कहा कि मंत्री अपने क्षेत्र में&nbsp;गौशाला&nbsp;बना रहे&nbsp;है&nbsp;जबकि अपने विरोधियों के यहाँ सांडशाला बना रहे&nbsp;है। इस पर सभी सदस्य खिलखिलाकर हंस पड़े। जबाब में मंत्री ने कहा कि&nbsp;हरोली&nbsp;में नंदीशाला की मांग की गई थी।<br />
20वीं&nbsp;पशु गणना के आधार पर हिमाचल प्रदेश में बेसहारा पशुओं की संख्या 36,311&nbsp;है। लेकिन संरक्षण की बात करने वाले&nbsp;भाजपा&nbsp;सरकार ने प्रदेश में अभी मात्र 867&nbsp;गौवंश&nbsp;के लिए ही आश्रय प्रदान किया&nbsp;है। इसके अलावा 17,460 निज़ी गौसदनों में पशुओं की बात सरकार कर रही&nbsp;है।<br />
20वीं&nbsp;पशु गणना के मुताबिक पालतू पशुओं की संख्या में भी कमी दर्ज की गई&nbsp;है। 19वीं&nbsp;गणना में जहां कैटल की संख्या 21,49,259 थी।</p>

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