बिलासपुर में एम्स की स्थापना में देरी पर हो-हल्ला करने वाले बीजेपी नेता राज्य सरकार पर निशाना साधने की बजाय केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से प्रश्न करें कि देरी क्यों हो रही है। राज्य सरकार ने 6 अप्रैल 2016 को भूमि को चिन्हित कर इसे स्वास्थ्य विभाग के नाम पर हस्तांतरित भी कर दिया है। इसके बावजूद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय अभी तक इसकी अधिसूचना जारी नहीं कर पाया है। यह बात प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने शिमला के कही।
कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से वित्तीय सहायता के बिना ही एम्स समोच्च योजना तैयार कर ली है। इस योजना को तैयार करने पर हिमाचल लोक निर्माण विभाग ने 7,70,554 रुपये की राशि खर्च की है। इस राशि को जारी करने के लिए केंद्र सरकार से 17 जुलाई, 2015 को आग्रह किया गया था। इसके जवाब में केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्य सरकार को 19 जुलाई, 2016 को एक पत्र भेजा। इस पत्र में हिमाचल में एम्स की स्थापना के लिए महज भूमि चिन्हित करने की सूचना प्राप्त हुई है।
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के केंद्रीय दल ने राज्य सरकार की ओर से चयनित स्थल का दौरा किया। लेकिन, अभी तक राज्य सरकार को भूमि की स्वीकृति या अस्वीकृति संबंधी किसी भी प्रकार के निर्णय की जानकारी नहीं दी गई है। फिर किस आधार पर बीजेपी नेता राज्य सरकार को एम्स की स्थापना में देरी होने के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी नेताओं को बयानबाजी करने से पहले पूरी बात का पता कर लेना चाहिए, उसके बाद ही कुछ कहना चाहिए।