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बेरोजगारी से बेहतर युवा पकौड़े बेचें, अमित शाह की ऐडवाइज़

समाचार फर्स्ट डेस्क |

सोशल मीडिया से बावस्ता होंगे तो आप ट्रोल हो रहे पीएम मोदी के 'पकौड़े' वाले बयान से ज़रूर वाक़िफ होंगे। अगर नहीं होंगे, तो हम थोड़े ही शब्दों में आपको यह मामला समझा देंगे। लेकिन, पकौड़े पर बीजेपी की ओर से मारक बयान आया है पहले उसे जानें। सोमवार को राज्यसभा में सत्तारूढ़ बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने ''पकौड़े'' के जरिए उल्टा कांग्रेस पर बरस पड़े। राज्यसभा में बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि ''बेरोजगार होने से अच्छा है कि युवा पकौड़े बेचें''।

राज्यसभा में अपने डेब्यू भाषण में अमित शाह ने कहा कि बेरोजगारी से अच्छा है कि कोई युवा पकौड़ा बेच रहा है, पकौड़ा बेचना शर्म की बात नहीं है। इसकी तुलना भिखारी से ना करें। उन्होंने इस मामले में पीएम मोदी का उदाहरण पेश किया। शाह ने कहा कि आज एक चाय बेचने वाले का बेटा देश का प्रधानमंत्री है, कल पकौड़े बेचने वाले का बेटा बड़ा उद्योगपति बन सकता है।

पिछले दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक इंटरव्यू के दौरान बेरोजगारी दूर करने के मामले में पकौड़े बेचने वाले युवकों का हवाला दिया था। इसके बाद सोशल मीडिया पर पीएम के इस बयान का मज़ाक उड़ाया जाने लगा। ख़ासकर कांग्रेस और दूसरी विरोधी पार्टियों ने पीएम के इस बयान पर खूब तंज कसे। पकौड़े वाला बयान जमकर ट्रोल हुआ। हालांकि, अमित शाह के इस पलटवार पर कांग्रेस के नेताओं का बयान भी दिलचस्प हो सकता है। लिहाजा, इंतजार अभी अमित शाह के बयान पर सोशल मीडिया के हलचल का है…

विरासत में मिले गड्ढे

4 साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद अमित शाह ने बताया है कि सरकार का पूरा समय पिछली सरकारों द्वारा तैयार गड्ढों को भरने में बीता है। उन्होंने कहा कि हमें विरासत में गड्ढे मिले थे, सरकार का बहुत सारा समय गड्ढा भरने में ही गया। उन्होंने कहा कि 2013 में देश की जो स्थिति थी, उसे याद करने की जरूरत है। देश में विकास की गति काफी गिरी हुई थी, महिलाएं देश में सुरक्षित नहीं थीं। सीमा की रक्षा करने वाले जवान सरकार के अनिर्णय के कारण कुछ कर नहीं पा रहे थे।

55 साल तक एक ही परिवार का राज, नहीं हुआ भला 

अमित शाह ने देश की बदहाली का ठिकरा कांग्रेस और ख़ासकर गांधी परिवार के सिर फोड़ा। उन्होंने कहा कि 55 साल तक देश में एक ही परिवार का राज रहा, लेकिन इसके बावजूद इसके ग़रीबों के लिए बैंक अकाउंट तक मुहैया नहीं हो पाया। मोदी सरकार के आते ही बड़े निर्णय लिए गए और जनधन योजना चलाई गई। घोषणा के दौरान मन में शंका थी कि जो 60 साल में नहीं हुआ, वो कैसे होगा। लेकिन, आज 31 करोड़ से ज्यादा बैंक अकाउंट खुल गए हैं।