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हिमाचल उपचुनाव: दांव पर बीजेपी-कांग्रेस की साख, दावेदारों की भरमार

हिमाचल प्रदेश ने इस साल 4 दिग्गज नेताओं को खोया है। वीरभद्र सिंह, राम सवरूप शर्मा, सुजान सिंह पठानिया और नरेंद्र बरागटा की कमी पूरी करना मुश्किल है लेकिन समय का चक्र किसी के लिए नहीं रुकता। इन दिग्गज नेताओं के निधन के साथ खाली हुई लोकसभा और विधानसभा सीटों के उपचुनावों का बिगुल बज चुका है। 30 अक्टूबर को प्रदेश की जनता को अंदेशा हो जायेगा कि 2022 में सत्ता किस करवट बैठेगी।
चुनाव आयोग ने 30 अक्टूबर को मंडी लोकसभा, अर्की, जुब्बल-कोटखाई और फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव करवाने का फैसला ले लिया है। ये सीटें राम सवरूप शर्मा, वीरभद्र सिंह, नरेंद्र बरागटा और सुजान सिंह पठानिया के निधन के बाद खाली हुईं थी।

सिटों के खाली होने के बाद से ही दोनों तरफ के उम्मीदवार पार्टी हाईकमान के चक्कर काटने लगे थे। दोनों ही तरफ उम्मीदवारों की लंबी फेहरिस्त तैयार हो चुकी है।

परिवारवाद रह सकता है हावी..

संसदीय क्षेत्र मंडी से भाजपा उम्मीदवार के लिए माथापच्ची जारी है। कांग्रेस का भी यही हाल है। कांग्रेस पार्टी पिछली बार चुनाव लड़ चुके आश्रय शर्मा पर दांव खेलेगी या फिर कोई नया चेहरा देगी। वहीं मंडी से सांसद रह चुकीं प्रतिभा सिंह हाल ही में अपने बेटे के साथ दिल्ली में कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ मिलीं थी। आश्रय और प्रतिभा सिंह दोनों ही चेहरे ऐसे परिवार से आते हैं जो हिमाचल की राजनीति में दशकों से अपना वर्चस्व कायम किए हुए हैं। ऐसे में क्या मंडी में कांग्रेस परिवारवाद के चुंगल से बाहर निकल पाएगी?

कांगड़ा के फतेहपुर उपचुनाव में भी कांग्रेस की तरफ से सुजान सिंह के बेटे भवानी सिंह प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। सूचना तो ये है कि उन्होंने क्षेत्र में प्रचार भी शुरू कर दिया है। भाजपा के पास चेहरों की कमी नहीं है लेकिन फतेहपुर में भाजपा को उम्मीदवार ढूंढना टेड़ी खीर साबित हो रहा है।

जुब्बल कोटखाई में दोनों ही दलों से परिवारवाद हावी रहेगा क्योंकि भाजपा यहां से नरेंद्र बरागटा के सुपुत्र चेतन बरागटा पर दांव खेल सकती है। उधर कांग्रेस पार्टी से लगभग तय है कि पूर्व मुख्यमंत्री रामलाल ठाकुर के पौत्र रोहित ठाकुर को ही जुब्बल कोटखाई से टिकट मिलेगा।

अब सबसे हॉट सीट अर्की की बात कर लेते हैं जहां माना जाता है कि एक पत्थर उखाड़ो तो 10 नेता निकलेंगे। 2017 के विधानसभा चुनावों में भी सबसे ज़्यादा उम्मीदवार यहां से चुनाव लड़े थे। दोनों ही दलों में उपचुनाव में भी टिकट के दावेदारों की लंबी फ़ेहरिस्त है। जिन्होंने अभी से अपने अपने दावे भी ठोक दिए हैं। अर्की में भाजपा में आपसी अंतर्कलह भी सामने आने लगी है। जी हां अर्की से भाजपा के पिछली बार उम्मीदवार रहे रत्नपाल पर दांव खेल सकती है। लेकिन भाजपा की तरफ से गोविंद शर्मा उनके खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।

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