कांग्रेस की सिरफुट्टौवल पर बाग-बाग है BJP

<p>कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और पीसीसी प्रमुख सुखविंदर सिंह सुक्खू की तल्ख बयानबाजियां फिर से सुर्ख़ियों में हैं। दोनों के राजनीतिक रंजिश से जहां कांग्रेस के कुछ नेता परेशान हैं, वहीं बीजेपी इसे 2019 के लिए शुभ संकेत के तौर पर देख रही है। दरअसल, पिछले विधानसभा चुनाव में भी वीरभद्र और सुक्खू की जंग जगजाहिर थी।</p>

<p>कांग्रेस के प्रवक्ता नरेश चौहान ने जहां सुक्खू और वीरभद्र के ताजा तल्ख़ बयानों को पार्टी के लिए घातक बताया, वहीं 2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र कांग्रेस की इस सिरफुट्टौवल को बीजेपी शुभ संकेत मान रही है। बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि विधानसभा चुनाव की तरह ही पार्टी लोकसभा में बेहतर प्रदर्शन करेगी।</p>

<p>कांग्रेस के प्रवक्ता नरेश चौहान ने कहा कि वीरभद्र और सुक्खू के बीच की तल्ख़ टिप्पणी पार्टी के लिए सही नहीं है। हाईकमान को इस मुद्दे को देखना होगा। क्योंकि, 2019 लोकसभा चुनाव अब करीब आ रहा है और पार्टी के आम कार्यकर्ता का मनोबल बना रहे यह जरूरी है।</p>

<p>जबकि, बीजेपी प्रवक्ता रणधीर शर्मा ने आपसी सिरफुट्टौवल के बीच कांग्रेस पर धावा बोला है। शर्मा ने कहा कि पीसीसी प्रमुख बीजेपी सांसदों से सवाल पूछ रहे हैं, लेकिन उनसे भी कुछ सवाल बनते हैं, जिनके बिनाह पर कांग्रेस को प्रदेश से सत्ता गंवानी पड़ी थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की आंतरिक कलह का लाभ हमेशा बीजेपी को मिला है और 2019 में भी मिलेगा।</p>

<p>गौरतलब मंगलवार को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू का वीरभद्र सिंह के खिलाफ दिए गए बयान ने&nbsp; राजनीतिक गलियारों में तहलका मचा दिया। पहली बार सुक्खू पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र के खिलाफ इतने सख़्त और तल्ख़ दिखाई दिए। दरअसल, 2019 के मद्देनज़र वीरभद्र सिंह ने सुक्खू की कवायद को कमजोर बताया था। जवाब में सुक्खू ने विधानसभा चुनाव की उल्लाहनाएं देते हुए कहा, &#39;&#39;विधानसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह को फ्री-हैंड दिया गया था, तब क्यों नहीं पार्टी को जीत दिला पाए.&quot;</p>

<p>सुक्खू ने आगे कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री को टिप्पणी करने की आदत हो गई है। लेकिन, हम लोग भी पिछले 30 सालों से संगठन की सेवा कर रहे हैं। सुक्खू का ये बयान दर्शा रहा है कि पार्टी नई कतार अब आगली लाइन में ऊभरने के लिए बेताब है और इसका फैसला भी यह तबका जल्द से जल्द चाहता है। लेकिन, दशकों तक प्रदेश की राजनीति को अपने शिकंजे में रखने वाले वीरभद्र सिंह कौन सा नया दांव इस्तेमाल करते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।</p>

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