<p>हिमाचल प्रदेश में बोर्डों और निगमों में अध्यक्षों- उपाध्यक्षों की ताजपोशी का मामला और आगे लटक सकता है। सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनाव को सामने देखते हुए प्रदेश सरकार असंतुष्ट भाजपा नेताओं को और नाराज नहीं करना चाह रही है। कुछ ताजपोशियों को करने के बाद ज्यादातर पदों को खाली छोड़ा जा सकता है।</p>
<p>लंबे समय से पदाधिकारी सरकारी ओहदों पर ताजपोशी की बाट जोह रहे हैं। पहले ये कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के दौरे पर सीएम बोर्ड और निगमों में ताजपोशियां कर सकते हैं, लेकिन प्रदेश में मानसून से हुए भारी नुकसान के बीच अमित शाह का दौरा रद्द हो गया था। अमित शाह का दौरा रद्द होने से मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया।</p>
<p>सूत्रों की मानें तो बोर्ड और निगमों में नेताओं की ताजपोशी को लेकर खूब चर्चा चल रही है। इनमें पूर्व मंत्रियों, पूर्व विधायकों और अन्य तमाम नेताओं के नामों पर विचार चल रहा है। कई नेता इसके लिए लगातार लॉबिंग भी कर रहे हैं। बोर्ड निगमों में अभी तक ताजपोशी न होने का मुख्य कारण लोकसभा चुनाव ही माना जा रहा है।</p>
<p>बोर्ड और निगमों में जगह न मिलने पर कुछ नेता नाराज हो सकते है। नेताओं की इस नाराजगी का खामियाजा बीजेपी को लोकसभा चुनावों में भुगतना पड़ सकता है। ऐसे में संतुलन बनाए रखने के लिए सरकार कुछ नेताओं की बोर्ड निगमों में तैनाती कर बाकी पदों को खाली छोड़ सकती है।</p>
<p>वहीं कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर बीजेपी के कुछ नेताओं को निगमों और बोर्डों में अध्यक्ष- उपाध्यक्ष नियुक्त किए जाने संबंधी वायरल हो रही। जिसके बाद ताजपोशी मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया।</p>
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