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नक्सल लिंक पर फैसला: राहुल गांधी के खिलाफ आक्रामक हुई बीजेपी

समाचार फर्स्ट डेस्क |

भीमा कोरेगांव हिंसा के बाद नक्सल लिंक में गिरफ्तार ऐक्टिविस्ट्स पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बीजेपी फ्रंटफुट पर है। सुप्रीम कोर्ट ने नजरबंद ऐक्टिविस्ट्स को कोई राहत नहीं दी है। बल्कि 4 हफ्ते हिरासत और बढ़ा दी है। साथ ही साथ SIT की मांग को खारिज करते हुए पुणे पुलिस को मामले की जांच जारी रखने के आदेश दिए हैं।

कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला है। बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के ट्वीट के जरिए उनपर पलटवार किया।

शाह ने राहुल पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि मूर्खता के लिए केवल एक ही जगह है और उसे कांग्रेस कहते हैं। दरअसल, नक्सल कनेक्शन पर पांच ऐक्टिविस्ट्स को नजरबंद किए जाने के बाद राहुल गांधी ने ट्वीट कर तंज कसते हुए कहा था कि भारत में केवल एक एनजीओ के लिए जगह है और उसे आरएसएस कहते हैं।

राहुल ने कहा था, 'सभी NGOs को बंद कर दो। सभी ऐक्टिविस्टों को जेल में डाल दो और जो शिकायत करे उसे शूट कर दो।' अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अमित शाह ने उन्हीं के लहजे में पलटवार किया है।

बीजेपी अध्यक्ष ने ट्वीट किया, 'भारत के टुकड़े-टुकड़े गैंग, माओवादियों, फेक एक्टिविस्टों और भ्रष्ट लोगों का समर्थन करो। जो ईमानदार हैं और काम कर रहे हैं, उन सभी को बदनाम करो। राहुल गांधी की कांग्रेस का स्वागत है।'

कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी आक्रामक

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके राहुल गांधी पर ताबड़तोड़ बयान दिए। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि नक्सल लिंक में ऐक्टिविस्टों की गिरफ्तारी की वजह राजनीतिक असहमति नहीं थी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और पूरी कांग्रेस का एक ही मत था कि सरकार से असहमति जताने वालों को गिरफ्तार किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को खारिज किया है। पात्रा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला कांग्रेस पार्टी की हार है। राहुल गांधी को इस फैसले के बाद शर्म से सिर झुका लेना चाहिए।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव हिंसा के बाद नक्सल लिंक के आरोप में हिरासत में लिए गए एक्टिविस्टों की दलील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने 2-1 के बहुमत से दिए फैसले में ऐक्टिविस्टों की इस दलील को खारिज किया कि उनकी गिरफ्तारी राजनीतिक असहमतियों की वजह से की गई थी। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ ही जस्टिस खानविलकर ने कहा कि ये गिरफ्तारियां राजनीतिक असहमति की वजह से नहीं हुई हैं, बल्कि पहली नजर में ऐसे साक्ष्य हैं जिनसे प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के साथ उनके संबंधों का पता चलता है।