<p>बीजेपी ने हिमाचल का किला फतेह कर लिया है ,कांग्रेस को हराकर सत्ता पर काबिज तो हो गई बीजेपी,लेकिन जिसके नेतृत्व में बीजेपी ने चुनाव लड़ा उसे हार का मुंह देखना पड़ा। बीजेपी के सीएम उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल को हार का सामना करना पड़ा । चुनाव के इस संग्राम में उन्हें, उन्हीं के चेले राजेंद्र राणा ने शिकस्त दी है। इस हार ने साफ कर दिया की कभी -कभी राजनीति में एक्सपेरिमेंट भारी पड़ जाते हैं। प्रेम कुमार धूमल को हमीरपुर विधानसभा से बदल कर सुजानपुर से चुनाव लड़ने के लिए कहा गया। जब उन्हें सुजानपुर से चुनाव लड़ने को कहा गया था तो उनके आंसुओं ने बयां कर दिया कि वो हाईकमान के इस फैसले से खुश नहीं हैं। लेकिन फैसला तो फैसला ही होता है। क्योंकि राजनीति में जज्बातों की कोई जगह नहीं होती और आंसुओं से विरोधियों को हराया नहीं जा सकता।</p>
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दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे प्रेम कुमार धूमल अब उस राह पर आकर खड़े हैं जहां वो अपने जज्बात भी खुलकर जाहिर नहीं कर सकते । वो इस दुविधा में हैं कि बीजेपी की जीत का जश्न मनाएं या फिर अपनी हार का गम। लेकिन इतना साफ है कि सीएम का उम्मीदवार अगर अपनी सीट जीतने में नाकाम रहता है तो सवाल उठने लाजमी हैं ।</p>
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इस हार ने कहीं ना कहीं इस ओर इशारा किया है कि भले ही भावुकता में बहे आंसुओं ने प्रेम कुमार धूमल को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार तो बना दिया, लेकिन वो अंदर खाने ही अपनी पार्टी में अपनों से लड़ते दिखे। अब बीजेपी को मुख्यमंत्री के लिए फिर से माथापच्ची करनी पड़ेगी, वहीं बीजेपी हाईकमान ने जय राम ठाकुर को दिल्ली तलब किया है।</p>
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