एक वक़्त था जब फ़रमान जारी होते ही वीरभद्र सिंह के सामने कांग्रेस के नेता अपने सैंकड़ों समर्थकों के साथ हाजिर हो जाते थे। लेकिन, लगता है वक़्त ने करवट ले ली है। अब पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह रैली करते हैं तो उनके क़रीबी ही दूरी बना ले रहे हैं। ताज़ा उदाहरण सुजानपुर की रैली है। सुजानपुर में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की रैली पर सभी की निगाहें टिकी हुई थीं। हमीरपुर जिला के तीन दिवसीय दौरे के दौरान सुजानपुरी की रैली को काफी अहम माना जा रहा था। लेकिन, इसमें गौर करने वाली बात ये रही कि रैली से वीरभद्र खेमे के अधिकांश नेता गायब रहे। संगठन के अधिकांश लोग पहले ही किनारा कर चुके थे। लेकिन, अब लगता है उनके ख़ास समर्थक भी उनसे दूरी बनाने लगे हैं।
सुजानपुर की रैली में अगर पार्टी के चेहरों की बात करें तो मुकेश अग्निहोत्री, राजेंद्र राणा, बम्बर और आईडी लखपाल ही मौजूद थे। जबकि, वीरभद्र सिंह के बड़े सिपहसालारों में शामिल अनिता वर्मा, कुलदीप पठानिया, पूर्व निदेशक कांगड़ा बैंक अनिल वर्मा, ब्रृजमोहन सैनी, प्रेम कौशल सरीखी हस्तियों ने दूरी बना ली। संगठन के लोग भी इस कार्यक्रम से खुद को दूर ही रखा। ख़ास बात यह कि यह आयोजन सुजानपुर में था और सुजानपुर ब्लॉक के अध्यक्ष राजेंद्र वर्मा ही गायब थे। मंच पर आईडी लखनपाल के अलावा जिला कांग्रेस का कोई भी बड़ा चेहरा मौजूद नहीं था। यहां तक कि कांग्रेस पार्टी से निष्कासित प्रोमिला देवी को भी कार्यक्रम में मंच पर जगह नहीं मिली।
समाचार फर्स्ट ने हमीरपुर जिला कांग्रेस कमेटी के कई सदस्यों और प्रमुख नेताओं से बात की। कुछ नेताओं का कहना था कि सुजानपुर में वीरभद्र सिंह का कार्यक्रम कांग्रेस का नहीं बल्कि परिवार का कार्यक्रम था। संगठन से जुड़े एक बड़े चेहरे का कहना था कि वीरभद्र सिंह सिर्फ अपने और राजेंद्र राणा के परिवार की फिक्र कर रहे हैं। उन्हें कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं है। जो लोग पार्टी में लगातार काम कर रहे हैं वे उनके लिए आया राम गया राम हो चुके हैं। लेकिन, जो लोग अभी पूरी तरह से कांग्रेसी भी नहीं हैं उनके लिए वीरभद्र सिंह रैली कर रहे हैं। यह कांग्रेस के लिए गंभीर विषय है।
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वीरभद्र सिंह से जब कांग्रेस संगठन और दूसरे नेताओं की अनुपस्थिति पर सवाल किए गए तो उन्होंने झट से पूछा, ये लोग कौन हैं? वीरभद्र सिंह ने आगे कहा कि ऐसे लोगों की गैरमौजूदगी से कोई फर्क नहीं पड़ता है। आया राम गया राम की हालत वाले यहां बहुत सारे लोग हैं।
हालांकि, इन सारे सिरफुट्टौव्वल ने बीजेपी को चाबुक चलाने का जरूर मौका दे दिया है। समाचार फर्स्ट से बातचीत में बीजेपी मीडिया प्रभारी अंकुश दत्त ने सुजानपुर की रैली की सफलता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि रैली में लोगों की संख्या देख अब राणा बताएं कि वे हजारों की भीड़ से सैकड़ों में कैसे पहुंच गए। दत्त ने कहा कि सुजानपुर की जनता को एहसास हो गया है कि मुख्यमंत्री खोने का मतलब क्या होता है। अब लोकसभा चुनाव में जनता सबक सिखाएगी।
अगर इन सारी बयानबाजियों के अलावा वीरभद्र सिंह की वर्तमान राजनीति में प्रासंगिगता की बात करें तो कम से कम हमीरपुर में दांव तो उल्टा पड़ ही गया है। वर्तमान रुख को देख ऐसा लगा मानो वीरभद्र सिंह की पकड़ हाईकमान से लेकर स्थानीय नेताओं पर कमजोर पड़ी है। हालांकि, वे अपनी कद्दावर शख्सियत की बदौलत डॉमिनेंस वाला फॉर्मूला अपना रहे हैं। राजनीति में चूंकि लंबा अनुभव है ऐसे में स्थानीय नेता खुलकर तो नहीं बल्कि भीतर ही भीतर उनके कुनबे से खीसकने का इशारा कर रहे हैं।