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CM जयराम और पूर्व CM शांता कुमार पहुंचे पालमपुर, विवेकानंद की प्रतिमा पर अर्पित की पुष्पांजलि

मनोज धीमान |

माननीय मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और पूर्व मुख्यमंत्री शान्ता कुमार पालमपुर पहुंचे और स्वामी विवेकानंद जयंती के अवसर पर उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। आज का दिन युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। साल 1984 में भारत सरकार ने विवेकानंद जयंती ओर राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने कि घोषणा की। तभी से इस दिवस को राष्ट्रीय युवा दिवस तौर पर मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद युवाओं के प्रेरणास्रोत रहे हैं।

स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी सन् 1863 को कलकत्ता में एक कायस्थपरिवार में हुआ था। उनके बचपन का घर का नाम वीरेश्वर रखा गया था। लेकिन उनका औपचारिक नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। उनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त था जो कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे। उनकी माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था जो धार्मिक विचारों की महिला थीं।

वे केवल सन्त ही नहीं, एक महान देशभक्त, वक्ता, विचारक, लेखक और मानव-प्रेमी भी थे। गान्धी को आजादी की लड़ाई में जो जन-समर्थन मिला, वह विवेकानन्द के आह्वान का ही फल था। इस प्रकार वे भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के भी एक प्रमुख प्रेरणा के स्रोत बने। उनका विश्वास था कि पवित्र भारतवर्ष धर्म एवं दर्शन की पुण्यभूमि है।

विवेकानंद ओजस्वी और सारगर्भित व्याख्यानों की प्रसिद्धि विश्व भर में है। जीवन के अन्तिम दिन उन्होंने शुक्ल यजुर्वेद की व्याख्या की और कहा कि एक और विवेकानन्द चाहिये। यह समझने के लिये कि इस विवेकानन्द ने अब तक क्या किया है। उनके शिष्यों के अनुसार जीवन के अन्तिम दिन 7 जुलाई 1902 को भी उन्होंने अपनी ध्यान करने की दिनचर्या को नहीं बदला और सुबह 2-3 घण्टे ध्यान किया और ध्यानावस्था में ही अपने ब्रह्मरन्ध्र को भेदकर महासमाधि ले ली। बेलूर में गंगा तट पर चन्दन की चिता पर उनकी अंत्येष्टि की गयी। इसी गंगा तट के दूसरी ओर उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस का 16 साल पूर्व अन्तिम संस्कार हुआ था।