चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव खत्म होते ही जोड़-तोड़ की राजनीति शुरू हो गई है। कहीं पार्षद लुभावने वादों के चक्कर में पार्टी न बदल लें इसके लिए जीते हुए सदस्यों को कांग्रेस जयपुर तो आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली स्थनांतरित कर दिया है।
नगर निगम चुनावों के बाद राजनीतिक हलचल तब तेज हो गई जब कांग्रेस की हरप्रित कौर बाबला ने भाजपा का दामन थाम लिया। इसके साथ ही कांग्रेस की संख्या नगर निगम में 8 से घट कर 7 रह गई है। कई और पार्षद भी दल न बदल लें इसके लिए सातों सदस्यों को जयपुर रवाना कर दिया गया है।
अगर सूत्रों की माने तो भाजपा ने वार्ड 10 से विजयी हरप्रित कौर बाबला और उनके पति देवेंद्र सिंह बाबला को भाजपा ने वादा किया था कि अगर वे अपने साथ भी पार्षदों को भाजपा में शामिल हने के लिए तैयार कर लेते हैं तो उन्हें मेयर का पद दे दिया जाएगा।
इस हलचल के बाद ‘आप’ ने भी ऐतिहातन कदम उठाते हुए अपने सभी 14 पार्षदों को दिल्ली बुला लिया। आपको बता दें कि 35 सदस्यीय नगर निगम की सभा में ‘आप’ को 14, भाजपा को 12, कांग्रेस को 8 और शिरोमणि अकाली दल को 1 सीट मिली थी।
नगर निगम में मेयर की कुर्सी पाने के लिए 19 पार्षदों की जरूरत है। चंडीगढ़ की लोकसभा सांसद भी कॉउंसिल की सदस्य है। बाबला के दल बदल और एमपी किरण खेर को मिला कर अब भाजपा के पास 15 सदस्य हो गए हैं। फिलहाल किसी पार्टी के पास बहुमत नहीं है।
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