प्रदेश में लंबे समय से बीजेपी में अलग-थलग पड़े तीन बार के सांसद सुरेश चंदेल 25 मार्च को राहुल गांधी के समक्ष कांग्रेस का दामन थामने जा रहे हैं । पुख्ता सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस पार्टी 27 या 28 तारीख तक हिमाचल प्रदेश के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर सकती है। हमीरपुर लोकसभा के लिए अब जब पार्टी के भीतर से कोई भी बड़ा नेता चुनाव लड़ने के लिए तैयार नजर नहीं आ रहा है तो ऐेसे में अगर चंदेल कांग्रेस का दामन थाम लेते हैं तो कांग्रेस पार्टी चंदेल को हमीरपुर से उतार सकती है।
बता दें कि सुरेश चंदेल की बैठक पार्टी प्रभारी रजनी पाटिल, सह प्रभारी गुरकीरत कोटली नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री और प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर के साथ संयुक्त रूप से हुई है। उस बैठक के बाद यह तय हुआ है कि 25 तारीख को सुरेश चंदेल कांग्रेस का दामन थाम लेंगे। सुरेश चंदेल की बात करें तो हिमाचल बीजेपी में उनका कद काफी बड़ा है। चंदेल तीन बार सांसद रह चुके हैं। वहीं शिमला में जो बीजेपी का कार्यालय है उसकी जमीन उन्हीं के नाम पर है। चंदेल का बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में जाना बीजेपी के लिए बड़ा झटका होगा।
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मोदी लहर का लाभ हिमाचल प्रदेश में बेशक भाजपा को मिल सकता है । लेकिन पार्टी के भीतर इस स्थिति का नुकसान मौजूदा सरकार को हो सकता है । चुनाव के नतीजों के बाद प्रदेश में नए समीकरण बन सकते है । इसको लेकर पूर्व सांसद सुरेश चंदेल ने कहा की मैंने पहले ही कहा था कि सभी विकल्प खुले हैं और मैंने अपनी बात खुले मंच से पार्टी के भीतर रखी थी । निर्णय बड़े नेताओं ने लेना था, लेकिन इतना लंबा इंतजार किसी भी निर्णय के लिए नहीं किया जा सकता । इसलिए दूसरे विकल्पों की तलाश की गयी ।
सूत्रों की माने तो कांग्रेस पार्टी में जब बड़े नेताओं ने चुनाव मैदान में उतरने से मना कर दिया तो सुरेश चंदेल को एक विकल्प के रूप में रखा गया था और किस तरह से बिलासपुर से रामलाल ठाकुर और बम्बर ठाकुर को सुरेश चंदेल के साथ चलाना है। इस तरह की बातों को लेकर भी पार्टी की हुई बैठकों में चर्चा हुई। जिससे स्पष्ट होता है कि कहीं ना कहीं अब सुरेश चंदेल को पार्टी का टिकट कांग्रेस की तरफ से मिल सकता है ।
आने वाले लोकसभा चुनावों के लिए की कांग्रेस पार्टी लगातार हमीरपुर लोकसभा की सीट को जीत में कन्वर्ट करने के लिए भाजपा से ही चेहरों को इंपोर्ट करती रही है और इससे पहले नरेंद्र ठाकुर जो भाजपा में हमीरपुर से विधायक हैं, उन्हें भी कांग्रेस लोकसभा चुनावों के लिए सांसद अनुराग ठाकुर के खिलाफ मैदान में उतार चुकी है और उसके बाद सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा भी अनुराग के खिलाफ चुनाव लड़कर हार चुके हैं । इसके बावजूद पिछले 10 सालों में कांग्रेस पार्टी किसी चेहरे को तैयार नहीं कर पाई और इस बार फिर अपने पुरानी रणनीति पर ही चलते हुए भाजपा से ही एक और नेता को इंपोर्ट कर कर टिकट देने जा रही है ।