इस हफ्ते प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर हमीरपुर लोकसभा का दौरा करेंगे। हमीरपुर लोकसभा सीट को लेकर कांग्रेस पार्टी के भीतर बड़े स्तर पर चर्चाएं जोरों पर हैं। माना जा रहा है कि हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद अनुराग ठाकुर को पटखनी देने के लिए कांग्रेस पार्टी जिताऊ उम्मीदवार तलाशने में लगी है। कांग्रेस ऐसे चेहरे को तलाश कर रही है, जो अनुराग को टक्कर दे सके। इसी कवायद में कांग्रेस के नेताओं और विधायकों की मौजूदा स्थिति की भी टोह ली जा रही है।
लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का पूरा फोकस हमीरपुर पर रहेगा और पार्टी यहां से बीजेपी का तिलिस्म तोड़ने का प्रयास करेगी, जबकि बीजेपी की कोशिश इस ससंदीय क्षेत्र पर अपना वर्चस्व कायम रखने की होगी। अनुराग ने पिछले 3 लोकसभा चुनाव यहां से विशाल अंतर से जीते हैं। दूसरा यह पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का गृह क्षेत्र भी है। प्रदेश में बीजेपी की सरकार है और सतारूढ़ दल चुनाव के दौरान लाभ कमाने की भी कोशिश करेगा। यही वजह है कि इस बार कांग्रेस अनुराग के लेवल का जिताऊ चेहरा तलाश रही है।
लेकिन, इन सबके बीच में हमीरपुर लोकसभा का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि नए प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर जल्द ही हमीरपुर दौरे पर आ रहे हैं और एक व्यापक कार्यक्रम कार्यकर्ताओं से करने वाले हैं। जिसके तहत आने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर बिना समय गंवाए एक रणनीति बनाई जा सके और उस पर पार्टी काम भी शुरू करें।
सूत्र बताते हैं कि इसके लिए कांग्रेस पार्टी ने नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह ठाकुर सहित कई नामों पर विचार कर रही है जो की सीट जीतने का माद्दा रखते हो। इन सबके बीच बीजेपी नेता और तीन बार सांसद रहे सुरेश चंदेल भी लगातार मीडिया में अपनी बात रख रहे हैं। माना जा रहा है अगर कांग्रेस पार्टी उन्हें टिकट देगी तो वह कांग्रेस में आ सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि सुरेश चंदेल इस बारे में आनंद शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री और सुखविंदर सिंह सुक्खू जैसे बड़े नेताओं के साथ इस विषय पर संपर्क में भी हैं।
वहीं, प्रदेश प्रभारी रजनी पाटील भी सभी संभावनाओं को खुले रखने की बात करती हैं और कहती हैं कि जीत सबसे बड़ा मुद्दा है और उसी पर कांग्रेस पार्टी हिमाचल प्रदेश में काम कर रही है। प्रदेश अध्यक्ष का दौरा कांग्रेस पार्टी को हमीरपुर लोकसभा में कितना संगठित कर पाता है और वीरभद्र गुट और सुक्खू गुट किस तरह से अपने नए सरदार का इस्तकबाल हमीरपुर में करेगा। अब देखना यह है कि क्या कुलदीप राठौर दोनों गुटों को संगठित करने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं।