उदयपुर में हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर में हिमाचल कांग्रेस के दिग्गज नेता भी शामिल हुए. हिमाचल कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, चुनाव कैंपेन कमेटी अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री समेत कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव आरएस बाली ने इस शिविर में हिस्सा लिया. कांग्रेस पार्टी ने इस चिंतन शिविर को ‘नव संकल्प’ शिविर का नाम भी दिया. हालांकि कांग्रेस का ये चिंतन तो राष्ट्रीय स्तर पर था, लेकिन आगामी चुनाव वाले राज्यों पर भी कांग्रेस का फोकस रहा. हिमाचल प्रदेश में भी 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं और कांग्रेस मजबूती के साथ एकजुट होकर आगे बढ़ना चाहती है. इसीलिए हिमाचल कांग्रेस ने बड़े नेता इस शिविर में शामिल हुए.
इस शिविर में संगठनात्मक स्तर पर कांग्रेस की निर्णायक भूमिका निभाने के लिए व्यापक विचार मंथन हुआ. इस मंथन ये निष्कर्ष निकाले गए कि अगले 90 से 180 दिनों में देशभर में ब्लॉक स्तर, जिला स्तर, प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर सभी रिक्त नियुक्तियां संपूर्ण कर जवाबदेही सुनिश्चित कर दी जाए. संगठन को प्रभावी बनाने के लिए ब्लॉक कांग्रेस के साथ मंडल कांग्रेस कमेटियों का भी गठन करने का फैसला हुआ.
3 नए विभागों का गठन
1. पब्लिक इनसाइट डिपार्टमेंट – इस विभाग के जरिए अलग-अलग विषयों पर जनता के विचार जानने और नीति निर्धारण के लिए तर्कसंगत फीडबैक कांग्रेस नेतृत्व को मिलेगा.
2. राष्ट्रीय ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट – कांग्रेस का मानना है कि इस विभाग के जरिए पार्टी की नीतियों, विचारधारा, दृष्टि, सरकार की नीतियों और मौजूदा ज्वलंत मुद्दों पर नेताओं और कार्यकर्ताओं का व्यापक प्रशिक्षण हो पाएगा. केरल स्थित राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज से इस राष्ट्रीय ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की शुरुआत की जा सकती है.
3. इलेक्शन मेनेजमेंट डिपार्टमेंट – इस विभाग के गठन के जरिए हर चुनाव की तैयारी प्रभावशाली तरीके से हो और अपेक्षित परिणाम निकलने की उम्मीद जताई गई है.
पदाधिकारियों के कार्य का मूल्यांकन
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव (संगठन) के तहत अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी प्रदेश कांग्रेस कमेटी, जिला कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों के कार्य का मूल्यांकन भी हो, ताकि बेहतरीन काम करने वाले पदाधिकारियों को आगे बढ़ने का मौका मिले और निष्क्रिय पदाधिकारियों की छंटनी हो पाए. कांग्रेस कार्यकर्ता कांग्रेस के भारतीय राष्ट्रवाद और बीजेपी के छद्म राष्ट्रवाद का फर्क लोगों को समझाएं.
एक व्यक्ति का एक पद पर कार्यकाल 5 साल
पार्टी में लंबे समय तक एक ही व्यक्ति द्वारा पद पर बने रहने के बारे कई विचार सामने आए. संगठन के हित में यह है कि पांच वर्षों से अधिक कोई भी व्यक्ति एक पद पर न रहे, ताकि नए लोगों को मौका मिल सके. यही नहीं, मौजूदा भारत के आयु वर्ग व बदलते स्वरूप के अनुसार यह आवश्यक है कि कांग्रेस कार्यसमिति, राष्ट्रीय पदाधिकारियों, प्रदेश, जिला, ब्लॉक व मंडल पदाधिकारियों में 50 प्रतिशत पदाधिकारियों की आयु 50 वर्ष से कम हो.
‘एक परिवार, एक टिकट’ का नियम
राष्ट्रीय, प्रदेश, जिला, ब्लॉक और मंडल संगठनों की इकाईयों में सामाजिक वास्तविकता का प्रतिबिंब भी हो, यानि दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों व महिलाओं को न्यायसंगत प्रतिनिधित्व मिले. संगठन में ‘एक व्यक्ति, एक पद’ का सिद्धांत लागू हो. इसी प्रकार, ‘एक परिवार, एक टिकट’ का नियम भी लागू हो. यदि किसी के परिवार में दूसरा सदस्य राजनीतिक तौर से सक्रिय है, तो पांच साल के संगठनात्मक अनुभव के बाद ही वह व्यक्ति कांग्रेस टिकट के लिए पात्र माना जाए.
पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी का गठन
हर प्रांत के स्तर पर भिन्न-भिन्न विषयों पर चर्चा करने व निर्णय हेतु एक ‘पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी’ का गठन किया जाए. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी व प्रदेश कांग्रेस कमिटियों का सत्र साल में एक बार अवश्य आयोजित हो. इसी प्रकार, जिला, ब्लॉक व मंडल कमिटियों की बैठक नियमित रूप से आयोजित की जाए. आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर हर जिला स्तर पर 9 अगस्त से 75 किलोमीटर लंबी पदयात्रा का आयोजन हो, जिसमें स्वतंत्रता संग्राम के लक्ष्यों व त्याग तथा बलिदान की भावना प्रदर्शित हो.
मीडिया और संचार विभाग बने प्रभावी
बदलते परिवेश में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मीडिया व संचार विभाग के अधिकार क्षेत्र, कार्यक्षेत्र व ढांचे में बदलाव कर व्यापक विस्तार किया जाए और मीडिया, सोशल मीडिया, डाटा, रिसर्च, विचार विभाग आदि को संचार विभाग से जोड़ विषय विशेषज्ञों की मदद से और प्रभावी बनाया जाए. प्रदेशों के सभी मीडिया, सोशल मीडिया, रिसर्च आदि विभागों का अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के संचार विभाग के अंतर्गत रख सीधा जुड़ाव बने, ताकि पार्टी का संदेश प्रतिदिन देश के हर कोने-कोने में फैल सके.
जाहिर है 2024 के लोकसभा चुनाव के रूप में एक बड़ा इम्तिहान कांग्रेस के लिए आगे आने वाला है. लोगों में आम धारणा यही है कि क्या इस बार कुछ बदलाव जैसा दिखेगा या फिर पिछले कई वर्षों की तरह नतीजा एक जैसा ही रहने वाला है. बहरहाल, अब तक मिले संकेतों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्म्युले पर बढ़ना चाहती है.
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