हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस का आंतरिक कलह फिर से अपना पुराना ट्रैक पकड़ चुका है। विरोध और प्रतिरोध के जो स्वर विधानसभा चुनावों में उठ रहे थे, वो लोकसभा चुनाव की आहटों के बीच फिर से तेज़ हो चुके हैं। समाचार फर्स्ट को मिली जानकारी के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह किसी भी सूरत में अब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू को देखना नहीं चाहते। लिहाजा, दिल्ली में अपने गुट के नेताओं के साथ उन्होंने डेरा डाल दिया है। कहा तो यह भी जा रहा है कि इस बार सुक्खू के खिलाफ राजनीति का चक्रव्यू पहले से ज्यादा मजबूती से तैयार किया गया है।
जानकारी के मुताबिक वीरभद्र सिंह के साथ विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री भी मौजूद हैं। पीसीसी अध्यक्ष सुक्खू भी दिल्ली जल्द पहुंच सकते हैं। लेकिन, कांग्रेस के इस कुरुक्षेत्र में हो सकता है कि कोई बड़ा या छोटा-मोटा सिपाही फिर से शहीद हो जाए, लेकिन इस घमासान से पार्टी के मिशन लोकसभा-2019 को करारा सेटबैक मिलना तय है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस में गुटबाजी लोक-पटल पर आ रही है, उससे भले किसी नेताओं कि आपसी 'ईगो'जीत जाए, लेकिन कांग्रेस का धूल चाटना तय हो जाएगा।
सुक्खू को हाईकमान का सपोर्ट
सुखविंदर सिंह सुक्खू संगठन के पुराने चेहरे हैं। उनके ऊपर अभी भी हाईकमान का हाथ है। लेकिन, प्रदेश कांग्रेस का दूसरा खेमा (जिसमें वीरभद्र सिंह समेत कुछ वरिष्ठ नेता) हाईकमान को भी दूसरे माध्यमों से डॉमिनेट करने की कोशिश में है। ऐसा नहीं है कि सुक्खू का खेमा प्रदेश में कमजोर है। सुक्खू को भी प्रदेश के कद्दावर नेताओं का साथ मिला हुआ है। इसके अलावा संगठन में उन्होंने अपनी एक अलग विश्वासपात्रों की जमात खड़ी कर ली है। ऐसे में दोनों पक्ष मजबूत ही दिखाई दे रहे हैं। अगर, इनमें से किसी ने भी समझौते के लिए हथियार नहीं डाले, तो इस भीषण युद्ध में पार्टी की बड़ी तबाही तय है।
पीसीसी के लिए फिर से चर्चा में दूसरे नेताओं का नाम
प्रदेश कांग्रेस कमेटी का जिम्मा अगर सुक्खू से हटा लिया जाता है, तो इसकी सूरत में कौन पीसीसी अध्यक्ष होगा, इसको लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है। समाचार फर्स्ट को मिली पुष्ट जानकारी के मुताबिक इस रेस में आशा कुमारी, कौल सिंह ठाकुर, रोहित ठाकुर और रामलाल अगली कतार में है। ख़बर तो यह भी है कि इन नेताओं में रोहित ठाकुर के लिए कांग्रेस को कोई बड़ा नेता हाईकमान के संपर्क में लगातार बना हुआ है।
अगले दो से तीन दिनों में हो सकता है कि परिदृश्य कुछ हद तक साफ हो जाए। जैसे कि पिछले दिनों वीरभद्र और सुक्खू के जिस तरह से वार-पलटवार चर्चा में रहे, उससे साफ है कि अब पार्टी का अलाकमान भी कुछ निर्णायक फैसले लेगा। लेकिन, दिलचस्प बात यह है कि इस गैप में अपने-अपने लोगों को फिर से सेट करने की होड़ लगी हुई है।
समाचार फर्स्ट इस ख़बर पर अपनी खोजी पत्रकारिता जारी रखे हुए है। आने वाले दिनों में जैसे ही कोई घटनाक्रम बदला है, उसकी जानकारी आप पाठकों तक बेधड़क पहुंचती रहेगी।